गुजरात चुनावः कांग्रेस ने राजस्थान मॉडल को दी धार

कांग्रेस की रणनीति पर दिख रही गहलोत की छाप

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-द ओपिनियन-

कांग्रेस ने गुजरात में अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है और उस पर राजस्थान की खासकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छाप साफ नजर आई। घोषणा पत्र भी अहमदाबाद में अशोक गहलोत ने अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ जारी किया। गहलोत ने पुरानी पेंशन योजना को राजस्थान में लागू कर दिया है और इसके साथ ही राजस्थान में पहले निशल्क दवा योजना शुरू की और बाद में वे चिरंजीवी नाम से नई योजना अपने मौजूदा कार्यकाल में लेकर आए जिसमें मरीज के निशुल्क इलाज की सुविधा दी गई है। यह योजना गरीब व मध्यम वर्गीय तबके लिए नया संबल बनकर उभरी है। कांग्रेस ने अब अपने घोषणा पत्र में इन दोनों योजनाओं को प्राथमिकता से शामिल किया है। इसके अलावा भी कांग्रेस ने कई वादे किए हैं। कांग्रेस ने गुजरात में शासन के गहलोत मॉडल को अपनी रणनीति का अहम हिस्सा बनाया है।

लेकिन कांग्रेस के लिए असली परीक्षा तो जमीनी स्तर पर लड़ाई में ही होगी। पिछली बार कांग्रेस ने भाजपा को जबर्दस्त टक्कर दी थी। करीब 15-20 सीटों पर जीत हार का अंतर बहुत कम था और वहां सीधी लड़ाई होती तो कांग्रेस के खाते में कुछ और सीटें भी आ सकती थी। तो क्या इस बार कांग्रेस इन ऐसे मतों का संभावित विभाजन रोक सकेगी? भाजपा की सबसे बड़ी ताकत पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि वहां पीएम मोदी से लोकप्रिय चेहरा और कोई नहीं है। ऐसे में कांग्रेस के सामने सबसे अहम चुनौती एक सर्वस्वीकार्य लोकप्रिय चेहरा को आगे करने और उसके साथ मैदान मे उतरने की है। कांग्रेस में सबसे स्वीकार्य चेहरा आज भी सोनिया गांधी,राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हैं। पिछली बार राहुल गांधी फ्रंट पर रहकर खेले और एक लहर सी पैदा की लेकिन इस बार वे अपनी भारत जोड़ो यात्रा के चलते गुजरात से दूर हैं। पिछली बार जिस तरह से उन्होंने गुजरात समय में समय दिया वह इस बार संभव नहीं लगता। ऐसे में संभव है चुनावों में समन्वय का काम हिमाचल प्रदेश की तरह प्रियंका गांधी संभाले। अब देखना यह है कि प्रियंका वहां आती हैं या फिर कांग्रेस नेता राहुल को इस बात पर सहमत कर लेते हैं कि वह अपनी यात्रा के कार्यक्रम को रिशिड्यूल कर पहले गुजरात में समय दें। वहां उनकी उपस्थिति ज्यादा जरूरी है। पार्टी में एक नेता इस तरह का होना बहुत जरूरी है कि उसके पीछे पूरी पार्टी खड़ी हो जाए और वह मतदान तक का अपना पूरा समय वहां के लिए समर्पित कर दे। इस हिसाब से राहुल ही सबसे सटीक बैठते हैं। फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत तो हैं ही प्रचारक और रणनीतिकार की भूमिका में। गहलोत पहले भी गुजरात के कई दौरे कर चुके हैं और वहां पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र तैयार करने में भी उनकी छाप साफ नजर आती है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इस बार, कांग्रेस ने भाजपा की तरह बूथ प्रबंधन पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है और उसी के अनुरूप अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है। राहुल गांधी ने फरवरी 2022 में द्वारका में राज्य स्तरीय चिंतन शिविर में पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत की थी जिसके बाद, पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए एक मौन अभियान योजना लागू की। पिछले दिनों पीएम मोदी ने अपनी गुजरात यात्रा के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं को इस बारे में आगाह भी किया था।

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