-विष्णुदेव मंडल-

बिहार सरकार द्वारा जेल मेनुअल में बदलाव कर पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन समेत 27 अपराधियों को जेल से रिहा करने के मामले में बिहार की राजनीति गरमा गई है। बिहार के विपक्षी दल नीतीश कुमार के सुशासन पर सवाल उठाने लगे हैं। विपक्षी नेताओं को माने तो नीतीश कुमार ने आगामी लोकसभा चुनाव में गड़बड़ी फैलाने के वजह से लालू प्रसाद के इशारे पर जेल मैनुअल में बदलाव किया और ऐसे अपराधियों को जेल से रिहा किया जिन्हें जघन्य अपराध की वजह से सजा हुई थी। लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए नीतीश कुमार ने जेल मेनुअल में बदलाव कर इन्हें रिहा किया है ं।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास गुट) के एके वाजपेयी का कहना था कि नीतीश कुमार ने एक तरह से न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है। जिन दुर्दांत अपराधियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिन अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पडेी और जो अपराधी लोगों को अमन चौन छीनते थे उन्हें न्यायालयों ने सजा सुनाई थी लेकिन बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव कर इन्हें छोड़ दिया। सरकार का यह फैसला बेहद चिंताजनक है।
लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान, पूर्व सांसद आनंद मोहन को लेकर मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना था कि 1995 में एक दलित आइएएस कृष्णैया की आनंद मोहन के इशारे पर हत्या कर दी जाती है। बावजूद इसके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आनंद मोहन सरीखे 26 अपराधियों को रिहा कर क्या संदेश दे रहे हैं।
लोग सरकार चुनते हैं अपनी सुरक्षा और सुविधाओं के लिए, लेकिन नीतीश कुमार ने एक साथ 27 अपराधियों को को छोड़कर यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें आमजन से कोई सहानुभूति नहीं ह।ै उनकी सरकार गुंडे और मवालियो के लिए है। चिराग पासवान ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार के राज में शराब पीने वाले छोटे-छोटे गरीब कमजोर तबके के लोग को परेशान किया जा रहा है। उन्हें जेल में डाला जा रहा है। उनके परिवार को परेशान किया जा रहा है। खासकर पासी समाज जिनका मुख्य पेशा ताड़ी बेचना है उन्हें अपने पेशे से वंचित किया जा रहा है। दूसरी तरफ राज्य के अलग अलग जेलों में बंद दुर्दांत अपराधियों को जेल मैनुअल में बदलाव कर बाहर निकाला जा रहा है। बिहार के आमजन डर के माहौल में जी रहे हैं और मुख्यमंत्री देश में विपक्ष को एकजुट कर मोदी को हटाने की सपने देख रहे हैं।
पूर्व जनता दल यू प्रवक्ता एवं भाजपा में नए-नए शामिल हुए डॉ अजय आलोक ने मुख्यमंत्री की क्रिएटिविटी पर सवाल उठाते हुए कहा कि अपराधियों को जेल मैनुअल में बदलाव कर रिहा कर देना न्याय व्यवस्था पर सीधा प्रहार है। जेल और न्यायालय अपराधियों के लिए बने हैं लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब प्रधानमंत्री बनने के लिए इतने आतुर हो गए हैं कि वह सही और गलत को समझना ही भूल गए हैं। वह शायद भूल गए हैं कि जेल उन्हीं लोगों को भेजा जाता है जो अपराध करते हैं और कोर्ट उन्हीं लोगों को सजा देते हैं जो अक्षम्य अपराध करते हैं। ऐसे में जेल मैनुअल में बदलाव कर 27 अपराधियों को जेल से रिहा करना नीतीश कुमार के तालिबानी सोच को दर्शाता है।
बहरहाल बिहार के दलित समाज में मुख्यमंत्री के प्रति आक्रोश व्याप्त है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री दलित नेता सुश्री मायावती ने भी नीतीश कुमार के खिलाफ हल्ला बोला है। उन्होंने नीतीश कुमार से आग्रह किया है एक दलित आईएएस अधिकारी की हत्या करने के अपराधी को जेल मैनुअल में बदलाव कर नीतीश कुमार अपराधियों को हौसला बढा रहे है। उन्होंने बिहार सरकार से मांग की है कि वह आनंद मोहन को जेल भेजें।
(लेखक बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

















