तमिलनाडु में भाजपा और द्रमुक की राजनीतिक लड़ाई अब हिन्दी विरोध से आर्य और द्रविड़ संस्कृति पर पहुंची

केंद्र सरकार का नागरिकता संशोधन बिल तमिलों के खिलाफ है। यह बिल देश की अखंडता के लिए खतरा है और भाजपा के तमिल भाषा और संस्कृति प्रेम महज एक दिखावा है ताकि भगवा पार्टी बैक डोर से तमिलनाडु में हिंदी का प्रवेश कराने में कामयाब हो सके

-विष्णु देव मंडल-

विष्णु देव मंडल

(तमिलनाडु निवासी स्वतंत्र पत्रकार)

चेन्नई। एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी तमिलनाडु में अपनी जड़ें जमाने के लिए काशी तमिल संगमम जैसे आयोजन कर रही हैं और हजारों साल पुरानी तमिल भाषा को अन्य राज्यों में भी विकसित करने की बातें करती है, वहीं डीएमके प्रमुख और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भारतीय जनता पार्टी को तमिलनाडु के शत्रु के रूप में प्रचारित करने में लगे हैं। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को कहा कि पिछले कुछ महीनों में भाजपा ने तमिलनाडु की धरती पर अपनी उपस्थिति दर्ज की है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए कहा कि दुश्मन बड़ी ही चालाकी से तमिलनाडु, और तमिल प्रेम दर्शा रही है, इसलिए डीएमके नेताओं और कार्यकर्ताओं को किसी भी कीमत पर दुश्मन को तमिलनाडु में पैर नहीं जमाने देना है। उन्होंने कहा कि द्रविड़ और आर्य कभी एक नहीं हो सकते। भगवा पार्टी तमिलनाडु में दुष्प्रचार कर रही है, जिससे तमिलनाडु के हर घर और परिवार को अवगत कराना है, और विघटनकारी भाजपा को तमिलनाडु में जड़े नहीं जमाने देना है। उनहोंने मीडिया पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पिछले कुछ महीनों में भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया का एक वर्ग डीएमके सरकार के खिलाफ काम कर रहे हैं और भाजपा के प्रोपेगेंडा पॉलिटिक्स को समर्थन दे रही है, जिसे किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होने देना है। तमिलनाडु की शासन व्यवस्था पर सवाल उठाया जा रहा है। भाजपा दबे पांव तमिलनाडु पर हिंदी थोपना चाहती है। लडाई द्रविड़ और आर्य संस्कृति के बीच है। हमें भाजपा के प्रोपेगेंडा पॉलिटिक्स का जवाब देना है। इसलिए हमें सतर्क होने की जरूरत है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार का नागरिकता संशोधन बिल तमिलों के खिलाफ है। यह बिल देश की अखंडता के लिए खतरा है और भाजपा के तमिल भाषा और संस्कृति प्रेम महज एक दिखावा है ताकि भगवा पार्टी बैक डोर से तमिलनाडु में हिंदी का प्रवेश कराने में कामयाब हो सके।
एक ओर तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवी ने तमिलनाडु की भाषा तमिल को अन्य राज्यों में भी शामिल करने की अपील की है। आरएन रवी के मुताबिक तमिल हजारों वर्ष पुरानी भाषा है जिसे सहेज के रखने की जरूरत है। 21वीं सदी में क्षेत्रवाद, वंशवाद, जातिवाद से उठकर एक दूसरे से जुडने की जरूरत है। काशी-तमिल संगमम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य दो भाषा और संस्कृति को जोड़ने का है। उन्होंने कहा कि हमें संकीर्ण मानसिकता और भावनाओं से ऊपर उठकर एक दूसरे कोे गले लगाने और सम्मान करने की जरूरत है। भाषावाद क्षेत्रवाद आतंकवाद सामंतवाद यह देश की अखंडता में सबसे बड़ी बाधा हैं। हमें इससे ऊपर उठकर आगे बढ़ने की जरूरत है। भारत आज विश्व का प्रतिनिधित्व कर रहा है, ऐसे में हर राज्य और हर नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि वह देश को विश्व पटल पर पहुंचाने में अपना योगदान दें।
उल्लेखनीय है की पिछले कुछ महीनों से तमिलनाडु में हिंदी थोपने का प्रबल विरोध हो रहा है। वहीं भारतीय जनता पार्टी काशी-तमिल संगमम जैसे आयोजनों के जरिये तमिलनाडु में पैठ बनाने की कोशिश रही है। गौरतलब है कि पिछले दिनों तमिलनाडु के तिरपुर रेलवे स्टेशन पर उतर भारतीय मजदुरों की सहायता के लिए एक सूचना पट हिंदी, इंग्लिश और तमिल में लिखा गया था, जिसका तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने पुरज़ोर विरोध किया। इस वजह से रेलवे अधिकारियों ने इस बोर्ड को हटाया।
बहरहाल तमिलनाडु विधानसभा में महज चार सीटों पर प्रतिनिधित्व करने वाली भाजपा और द्रविड़ दलों के बीच राजनीतिक बयान बाजी तेज हो चुकी है। दोनों राजनीतिक पार्टियां एक दूसरों के खिलाफ आलोचना करने से बाज नहीं आ रही हैं जबकि प्रमुख विपक्षी पार्टी एआईएडीएमके सुस्त पड़े हुए हैं।

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