
-देवेंद्र यादव-

राहुल गांधी की बिहार में वोट का अधिकार यात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, जन सैलाब उमड रहा है। वोट अधिकार यात्रा को जन समर्थन से लग रहा है कि लोग राहुल गांधी का हौसला बढ़ा रहे हैं। राहुल गांधी बता रहे हैं कि हम साथ-साथ हैं तो डरने की या परेशान होने की कोई बात नहीं है। हम मिलकर आने वाले दिनों में सब ठीक कर देंगे। ऐसा लग रहा है जैसे जनता का समर्थन देखकर राहुल गांधी यह गीत गुनगुना रहे हो,” तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है अंधेरों को भी मिल रही रोशनी है। राहुल गांधी को बिहार की जनता के सैलाब और समर्थन ने बड़ी राजनीतिक ताकत दी है। जनता की ताकत और समर्थन का ही परिणाम है कि अपनी वोट के अधिकार की यात्रा के छठे दिन राहुल गांधी ने जनसेलाब को संबोधित करते हुए वोट चोर गद्दी छोड़ के नारे लगवाते हुए कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार जनता का वोट चोरी कर बनी हुई है। हम बिहार में वोट चोरी नहीं होने देंगे। राहुल गांधी ने बिहार के युवाओं को संदेश दिया कि वह वोट चोरी को रोकने और रोजगार पाने के लिए जुट जाएं। रोजगार तब मिलेगा जब बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में युवा भाजपा की वोट चोरी को रोक देगा। राहुल गांधी की वोट के अधिकार यात्रा ने देश के उन क्षेत्रीय दलों के नेताओं की गलतफहमी को भी दूर कर दिया जो यह समझते और कहते थे कि कांग्रेस कमजोर है। कांग्रेस के पास जनता के बीच करिश्माई नेता नहीं है।

राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा से पहले राजद नेता तेजस्वी यादव को कुछ इसी तरह का मुगालता था कि बिहार में कांग्रेस और राहुल गांधी का अधिक राजनीतिक वजूद नहीं है। शायद इसीलिए जब भी टिकट बंटवारे की बात होती थी तब तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी के राजनीतिक गलियारों से आवाज सुनाई देती थी कि कांग्रेस को तेजस्वी यादव आगामी विधानसभा चुनाव में केवल 30 से 40 विधानसभा सीट देना चाहते हैं। यह भी दलील दी जाती थी कि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कारण तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 विधानसभा सीट दी,थी मगर कांग्रेस 29 सीटों पर ही चुनाव जीत पाई, इस कारण तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने से रह गए। राहुल गांधी ने बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले ही सक्रियता दिखाना शुरू किया और बिहार कांग्रेस को मजबूत करने के लिए बिहार कांग्रेस में तीन बड़े बदलाव किए। बिहार के दौरे किए। राहुल गांधी की सक्रियता ने बिहार कांग्रेस के नेताओं और आम कार्यकर्ताओं को जनता के बीच सक्रिय किया। बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने बिहार के छात्रों का पेपर लीक और परीक्षा में धांधली का मुद्दा उठाया। वही पप्पू यादव ने पलायन रोको रोजगार दो का बड़ा मुद्दा उठाया और जब चुनाव आयोग ने बिहार में एस आई आर करने की घोषणा की तब पप्पू यादव ने इसका सबसे पहले विरोध किया और बिहार बंद करने का आह्वान किया। यदि सही मायने में देखे तो, बिहार में कांग्रेस की जड़ों को नए सिरे से मजबूत करने के लिए जो आधारशिला रखी गई उसे रखने वाला शख्स पप्पू यादव है। जिसको 2024 के लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने पूर्णिया लोकसभा सीट से टिकट तक नहीं मिलने दिया। पप्पू यादव पूर्णिया से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े और जीते। जब राहुल गांधी वोट का अधिकार यात्रा पर निकले तो पप्पू यादव को यात्रा के लिए बड़ी जिम्मेदारी दी। वोट का अधिकार यात्रा से विपक्ष के क्षेत्रीय दलों खासकर राजद के नेताओं को यह संदेश दे रहे हैं कि, ” हमने चाहा ही नहीं, घर में उजाला करना वरना, सूरज को भी आंगन में उतार लाते। राहुल गांधी बिहार में जितने सक्रिए अभी दिखाई दे रहे हैं उतने पहले कभी नजर नहीं आए। उन्हें अपने सहयोगी दलों पर विश्वास और भरोसा था। मगर जब सहयोगी दलों के नेता राहुल गांधी के बिहार में सक्रिय नहीं होने का मुगालता पाल कर कांग्रेस और राहुल गांधी को कमजोर बताने लगे, तो राहुल गांधी को भी अपनी ताकत दिखाना तो बनता है। वह बिहार में अपनी राजनीतिक ताकत और हैसियत बता रहे हैं ।बिहार का यह संदेश देश के अन्य राज्यों के क्षेत्रीय दलों तक भी पहुंच रहा है कि वह राहुल गांधी को और कांग्रेस को कमजोर समझने की भूल न करें। कांग्रेस की ताकत क्षेत्रीय दल नहीं है बल्कि क्षेत्रीय दलों की ताकत कांग्रेस है। कांग्रेस देश से कभी खत्म नहीं होगी बल्कि भाजपा क्षेत्रीय दलों को खत्म कर देगी। मायावती इसका उदाहरण है।
देवेंद्र यादव, कोटा राजस्थान,मोबाइल नंबर 9829678916
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)