
-देवेंद्र यादव-

जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद मीडिया और राजनीतिक गलियारों में तेजी से चर्चा होने लगी कि संसद के मानसून सत्र के शुरू होते ही अचानक से इस्तीफा क्यों दिया। धनखड़ के त्यागपत्र के बाद मीडिया और राजनीतिक पंडित तरह-तरह के कयास लगाने लगे। कयासो की राजनीतिक श्रृंखला में एक कयास यह भी है कि अन्य दलों को छोड़कर भाजपा में शामिल होकर बड़े पद हथियाने वाले आयातित नेताओं के पदों से हटाने का दौर शुरू हो गया है। राजस्थान के जाट नेता एडवोकेट जगदीप धनकड जनता दल को छोड़कर कांग्रेस और कांग्रेस को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। वह पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्य के राज्यपाल बने। धनखड़ देश के उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए। अभी उनका 2 वर्ष का कार्यकाल बाकी था मगर इससे पहले ही उन्होंने 21 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा देकर चौंका दिया, और राजनीतिक हलकों में धनखड़ के स्थिति के बाद विभिन्न प्रकार के राजनीतिक सवाल उठने लगे। मगर बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा के आयातित नेताओं के विकेट गिरना शुरू हो गए, और सबसे बड़ा विकेट उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का ही था।
भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में अपनी सरकार बनाई थी और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने। तब प्रधानमंत्री मोदी सहित भाजपा के नेता कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देश को दिखाने लगे। लेकिन धीरे-धीरे भारतीय जनता पार्टी पर कांग्रेस युक्त भाजपा होने का आरोप जनता के बीच से लगता हुआ सुनाई देने लगा। कांग्रेस और अन्य दलों को छोड़कर शामिल हुए नेता भाजपा के टिकट पर सांसद बने और उनमें से कई नेताओं को नरेंद्र मोदी सरकार में बड़े-बड़े मंत्रालयों में मंत्री भी बनाया। भाजपा के जिन नेताओं ने अथक प्रयास करके भारतीय जनता पार्टी को पहली बार अपनी दम पर प्रचंड बहुमत दिलवाया था वह नेता सत्ता से बाहर बैठे नजर आ रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला शायद यह भाजपा के जन्म जात नेताओं की कुंठा और मलाल का ही परिणाम था। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में पूर्ण बहुमत हासिल किया और 2019 में प्रचंड बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बनाई मगर क्या कारण रहा की 2024 में भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला। जबकि 2024 का लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी ने अबकी बार 400 पर का नारा लगाकर लड़ा था।
राजस्थान के जाट नेता जगदीश धनखड़ के त्यागपत्र देने के बाद यह कयास लगाए जाने लगे कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। क्या देश का अगला उपराष्ट्रपति राजस्थान से ही होगा। क्या उपराष्ट्रपति राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बनाया जा सकता है। भाजपा ने पहले भी राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत को उपराष्ट्रपति बनाया था।
वसुंधरा जाट परिवार की बहू भी हैं और राजस्थान में जाटों का राजनीतिक प्रभाव भी अधिक देखने को मिलता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे की नाराजगी के कारण भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में बड़ा नुकसान उठाया था। जहां उन्होंने 10 लोकसभा सीट खोई थी। वसुंधरा राजे का नाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को लेकर भी चर्चा में आया था।
कुछ दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह राजस्थान आए थे और सहकारिता विभाग के एक कार्यक्रम के मंच पर उन्होंने श्रीमती वसुंधरा की मौजूदगी में उनकी जबरदस्त तारीफ की थी। ऐसे में क्या देश का अगला उपराष्ट्रपति राजस्थान का नेता होगा?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)