
-देवेंद्र यादव-

राहुल गांधी ने 8 मार्च को गुजरात में बयान देकर, कांग्रेस पार्टी, राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर हलचल मचा दी। राहुल गांधी ने पहली बार बेबाक अंदाज में कहा कि कांग्रेस के भीतर भारतीय जनता पार्टी समर्थक लोग घुस गए हैं जिनकी सफाई करने का समय आ गया है। यदि कांग्रेस को मजबूती के साथ खड़ा करना है तो, ऐसे कांग्रेस के भीतर बैठे भारतीय जनता पार्टी समर्थक नेताओं को पार्टी से बाहर करना होगा। कांग्रेस को यह बड़ा और कठोर फैसला लेना ही होगा।
राहुल गांधी के इस बयान का उनकी सभा में उपस्थित कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पार्टी की विचारधारा से संबंध रखने वाले लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया और अपना समर्थन दिया। इससे स्पष्ट था कि पार्टी का कार्यकर्ता और कांग्रेस विचारधारा का समर्थन करने वाले लोग राहुल गांधी के इस बयान से कितने खुश हैं। ये लोग लंबे समय से राहुल गांधी और कांग्रेस हाई कमान के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। राहुल गांधी के बयान के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या कठोर फैसला लेंगे। राहुल गांधी और कांग्रेस लंबे समय से महसूस कर रहे थे कि पार्टी यूं ही नहीं कमजोर और खत्म हो रही है। जरूर कोई बड़ी वजह है। वजह यह है कि कांग्रेस के भीतर भारतीय जनता पार्टी के समर्थक बैठे हुए हैं जो कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मगर हाई कमान के संज्ञान में आने के बावजूद भाजपा समर्थक नेताओं के खिलाफ हाई कमान ने अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया और ना ही कार्रवाई की। इसलिए एक बार फिर से राहुल गांधी के बयान को लेकर संशय और सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या वह भाजपा समर्थक नेताओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेंगे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी बड़ी मछली को पकड़ने या छोटी मछलियों को पकड़ कर बात को आई गई कर देंगे।
जब राहुल गांधी को कांग्रेस की कमजोरी की असल जड़ का पता चल ही गया है तो उनको असल जड़ को ही खत्म करना होगा। उन बड़े नेताओं को कांग्रेस से बाहर करना होगा जो पार्टी के भीतर बैठकर भाजपा से मिलकर कांग्रेस का नुकसान कर रहे हैं। राहुल गांधी को यह समझना होगा। हालांकि राहुल गांधी समझ भी गए हैं शायद इसीलिए उन्होंने गुजरात की धरती से बड़ा बयान दिया। कांग्रेस को खत्म करने वाली जड़ ने गुजरात की धरती से ही सारे देश में विस्तार किया था। मगर अब यह जड़ सारे देश में फैल चुकी है। मगर मजबूत जड़ अधिक नहीं है कुछ है जिन्हें छांटने की जरूरत है। लेकिन सवाल यही है कि राहुल गांधी मजबूत जड़ को पहले खत्म करें।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)