
-द ओपिनियन-
हिमाचल प्रदेश व कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा के लिए पांच राज्यों के अगामी विधानसभा चुनाव बहुत अहम हैं। इनमें भी छत्तीसगढ़ , राजस्थान व मध्य प्रदेश के चुनाव भाजपा के लिए बहुत अहम हैं। राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और मध्य प्रदेश में भाजपा की। अब यदि भाजपा इन राज्यों में से कोई सा भी एक राज्य गंवा देती है तो उसके लिए अगामी लोकसभा चुनाव और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएंगे। पर लगता है भाजपा अभी तक राजस्थान को लेकर अपनी रणनीति को अंतिम रूप नहीं दे पाई है। फिलहाल पार्टी ने एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी को पुनः पार्टी में शामिल कर लिया है। देवी सिंह कोलायत से 7 बार विधायक रह चुके हैं और राजस्थान की राजनीति में उनका बड़ा नाम माना जाता है। इससे पहले भाजपा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया और ज्योति मिर्धा को पार्टी में शामिल कर चुकी है। अब उसने एक बड़े राजपूत नेता को पार्टी में शामिल कर लिया है। हालांकि इनके अलावा हाल में कई पूर्व अधिकारी व अन्य लोग भाजपा में शामिल हो चुके हैं लेकिन महरिया, मिर्धा व भाटी ऐसे नाम हैं जो राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता व गृह मंत्री अमित शाह व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दो दिन राजस्थान दौरे के बाद भाटी ने भाजपा का दामन थामा है। इससे लगता है कि भाजपा इसकी काफी पहले से ही तैयारी कर रही थी। इस मौके पर भाटी ने कहा कि कुछ गिले शिकवे थे। वो अब दूर हो गए हैं। पांच वर्ष बाद आपने हमें छाती से लगाया है, मै खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। भाटी ने पीएम मोदी की भी जमकर सराहना की और कहा कि पीएम मोदी ने देश ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में भारत का मान बढ़ाया है। उन्होंने दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का शासन आना तय है। 2023 में कमल खिलेगा। भाटी बड़े राजपूत नेता हैं और उनके आने से नए समीकरण बनना तय है।
इसके पहले भाजपा ने महरिया व मिर्धा के माध्यम से जाट मतों के समीकरण को भी अपने हिसाब से तय करने का प्रयास किया है। महरिया व मिर्धा के माध्यम से शेखावाटी व नागौर में तथा भाटीे के माध्यम से बीकानेर संभाग में भाजपा ने नए समीकरण गढ़ने का प्रयास किया है। इसके साथ ही भाजपा ने सीएलसी डायरेक्टर श्रवण चौधरी , बांदीकुई से भाजपा के पूर्व प्रत्याशी भागचंद सैनी और गेटवैल हॉस्पिटल सीकर के बीएल रणवां को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। चौधरी व रणवां के माध्यम से भाजपा ने शेखावाटी में जाट मतों को जोड़ने की अपनी मुहिम को और बल दिया है। अब देखना है भाजपा की प्रत्याशयों की सूची से किस तरह से जातीय समीकरण साधती है। भाजपा मध्य प्रदेश में तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित चार सांसदों को विधानसभा चुनाव में मैदान में उतार चुकी है और अब राजस्थान में भी इसी तरह की अटकलें तेज हो गई हैं कि भाजपा कुछ केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतार सकती है। इसके लिए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी के नामों को लेकर राजनीतिक अटकलों का बाजार गरम है। भाजपा पांच साल बाद राजस्थान में सत्ता में वापसी के लिए कई सियासी चाल चल रही है जिसमें केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतारने को लेकर जारी अटकलें भी शामिल हैं। शाह व नड्डा ने बुधवार रात व गुरुवार सुबह राजस्थान को लेकर अपनी रणनीति पर पार्टी नेताओं के साथ चर्चा की। राज्य में पार्टी की यात्राओं का फीडबैक लिया। समझा जाता है कि दोनों नेता यात्राओं में जनभागीदारी को लेकर संतुष्ट नहीं थे। अब देखना है कि भाजपा आगे क्या कदम उठाती है। भाटी वसुंधरा खेमे के माने जाते रहे हैं। अब देखना यह भी होगा कि भाजपा वसुंधरा राजे को क्या चुनावों में पूर्णरूप से सक्रिय कर पाएगी।