
-विष्णुदेव मंडल-

(बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार)
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के एक ट्वीट ने महागठबंधन सरकार में खलबली मचा दी है। “बुनियादी संसाधन उचित पाठन, शिक्षित बिहार तेजस्वी बिहार ” शिक्षा मंत्री की इस ट्वीट के तुरत बाद जदयू नेता प्रवक्ता नीरज कुमार का ट्वीट सामने आता है”बढ़ता बिहार नीतीश कुमार शिक्षित कुमार शिक्षित बिहार”।
बहरहाल महागठबंधन के 2 बड़े दलों के नेताओं के बीच वाक्युद्ध अब ट्विटर युद्ध में बदल गया है। पिछले दिनों राष्ट्रीय जनता दल नेता शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव द्वारा रामचरितमानस धर्म ग्रंथ पर विवादित बयान के बाद जनता दल यूनाइटेड के नेताओं प्रवक्ता और मुख्यमंत्री भी असहज हो गए हैं। हिंदुओं के पवित्र धर्म ग्रंथ रामचरितमानस पर चंद्रशेखर यादव के बयान के बाद नीतीश कैबिनेट के मंत्री अशोक कुमार चौधरी जनता दल यूनाइटेड के प्रमुख प्रवक्ता नीरज कुमार और जदयू संसदीय विधानमंडल दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय जनता दल के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। जहाँ अशोक चौधरी ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से बयान वापस लेने की मांग की वहीं, कई जदयू नेताओं ने शिक्षा मंत्री पर कार्रवाई की मांग की है।
जबकि राष्ट्रीय जनता दल बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, शिक्षा मंत्री के बयान को सही ठहरा रहे हैं। वहीं तेजस्वी यादव भी शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान के खिलाफ टालमटोल का रवैया अपनाए हुए हैं। संकेत साफ है कुर्सी खाली करो तेजस्वी यादव तैयार बैठे हैं।

मालूम हो कि महागठबंधन बनने के बाद से ही जहाँ राजद नेताओं सुधाकर सिंह, जगदानंद सिंह और अब शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान से स्पष्ट हो चुका है कि राजद नेतृत्व में ही बिहार की सरकार चले और नीतीश कुमार अपने वायदे के मुताबिक केंद्र की राजनीति में चले जाएं। यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है की नीतीश कुमार गठबंधन बनाने के बाद यह बयान दिया था कि अब आगे तो तेजस्वी ही बिहार को देखेंगे। इस कड़ी में उनहोंने दिल्ली जाकर विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात की थी। लेकिन माकूल रिसपांस नहीं मिलने के बाद उनका बयान आया 2025 बिहार विधानसभा चुनाव की अगुवाई तेजस्वी यादव करेंगे। तब से राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदानंद सिंह, उनके बेटे सुधाकर सिंह और अब शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव के रामचरित मानस पर ट्वीट ने अब आग में घी डाल दिया है।
अब राजनीति के इस शीतयुद्ध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी खुलकर बोल नहीं पा रहे हैं और न तेजस्वी यादव अपने नेताओं को रोक पा रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक यह सियासी बयान राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की सहमति से ही दिए जा रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव से वादा किया था कि वह बिहार की राजनीति छोड़ केंद्र की राजनीति में जाएंगे और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार को 2024 में मात देंगे। लेकिन वह अपनी वाणी पर अब कायम नहीं हैं। वह दिल्ली से वापसी के बाद अपने बयान से पलट गये हैं। आगामी विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लडे़गे के बारे में पार्टी में किसी प्रकार की चर्चा किए बिना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एलान 2025 तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लडे़गे के कारण भी जदयू नेताओं में भी असंतोष का भावना है। जदयू नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने पहले ही नीतीश कुमार के इस निर्णय को आत्मघाती बताया है। वहीं कई और नेता इस बयान से चिंतित हैं जो सालों से पार्टी में सेवा की भावना से संघर्ष कर रहे हैं।
गौर करने वाली बात यह भी है कि तेजस्वी यादव जो बिहार सरकार के नेतृत्व का एक अहम हिस्सा हैं वह भी जगदानंद सिंह, सुधाकर सिंह, चंद्रशेखर यादव और अन्य नेताओं के बयान पर कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं। तेजस्वी यादव इन बयानबाजी के इतर भाजपा पर हमला कर रहे हैं। वह कहते हैं कि इस बयानवीरों के बयान से भाजपा वालों को खुश होने की जरूरत नहीं है। महागठबंधन अटूट है अपना काम कर रहा है। यहाँ महाराष्ट्र जैसा कुछ नहीं होने वाला है।
बहरहाल रामचरितमानस पर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान के बाद नीतीश कुमार के समर्थकों और नेताओं में भारी नाराजगी है क्योंकि नीतीश कुमार के वोट बैंक में सर्वाधिक कुर्मी कोइरी और ओबीसी गैर मुस्लिम बिरादरी के हैं जो रामचरितमानस को धार्मिक ग्रंथ मान करके पूजा करते हैं। साथ ही राम को अपना आदर्श मानते हैं। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं द्वारा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ पर सवाल उठाने से नीतीश कुमार के वोट खिसकने का डर है। गठबंधन में दरार पडने की स्थिति में भी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव बयानवीरों पर कार्रवाई करने के हालत में नहीं हैं। एक तरफ मुख्यमंत्री समाधान यात्रा पर हैं तो दूसरी तरफ महागठबंधन के नेता सरकार की समस्याएं बढ़ा रहे हैं।
(यह लेखक के निजी विचार हैं)

















