
-देवेंद्र यादव-

संसदीय इतिहास में 26 जून का दिन इसलिए दर्ज होगा क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ। हालांकि वोट तो नहीं पड़े मगर ध्वनि मत से लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव हुआ।
एनडीए गठबंधन और इंडिया गठबंधन ने लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। इंडिया गठबंधन की तरफ से के सुरेश और एनडीए गठबंधन की तरफ से ओम बिरला चुनावी मैदान में थे।
लाख कोशिश के बावजूद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए आम सहमति नहीं बन पाई और चुनाव हुआ जिसमें एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी ओम बिरला ने जीत दर्ज की।
लोकसभा स्पीकर के पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बड़ी दरार होने के बावजूद ओम बिरला को बड़ी आसानी से लोकसभा अध्यक्ष चुन लिया गया और विपक्ष के नेता राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवनिर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष को अपने आसन पर बैठाया। यह लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि, क्या यह सत्ता पक्ष और विपक्ष की नूरा कुश्ती थी ? या फिर कुछ और सस्पेंस बरकरार है? लोकसभा अध्यक्ष के आसान से एक तस्वीर ऐसी दिखाई दी जब राहुल गांधी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला गर्म जोशी के साथ हाथ मिलाकर खुश हो रहे हैं तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राहुल गांधी और ओम बिरला के बीच गर्म जोशी के मिलन को देखकर नर्वस दिखाई दे रहे हैं।
यदि ओम बिरला के लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने को भारतीय जनता पार्टी के नजरिया से देखें तो, भारतीय जनता पार्टी के भीतर तीसरे बड़े नेता के रूप में उभरे हैं।
क्या ओम बिरला और पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का मिलन ओम बिरला के लिए कारगर सिद्ध हुआ जिन्होंने दक्षिण के सांसदों को साधा। यदि लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव पर्ची से भी होता तो भी जीत ओम बिरला की ही होती और यदि राजनाथ सिंह विपक्ष के नेताओं से फ्री हैंड होकर बात करते तो शायद लोकसभा अध्यक्ष के लिए आम सहमति बन जाती और चुनाव ही नहीं होता। लेकिन राजनीतिक नजरिए से देखें तो ओम बिरला निर्वाचित होकर एक ताकतवर नेता के रूप में उभरे हैं।
ओम बिरला की जीत उनके राजनीतिक भविष्य के लिए एक बहुत बड़ी जीत है। ओम बिरला भारतीय जनता पार्टी के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद सबसे बड़े नेता के रूप में सामने नजर आए हैं।
ओम जी भाई साहब को हमारी ओर से हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं