
-विष्णुदेव मंडल-

पटना। बिहार में जब से सत्ता में बदलाव हुआ है तब से आमजन का काम कम और सिर्फ राजनीतिक बयानवाजी ज्यादा हो रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा से राजनीति में पाला बदलने में माहिर रहे हैं । उनका फंडा है अपने मन का करना चाहे राज्य का कितना भी नुकसान क्यों ना हो जाए। बहरहाल बिहार कीे राजनीति में सिर्फ सत्ता में कैसे बने रहें कि कवायद की जा रही है। आमजन की समस्या जस की तस है। बेरोजगारी चरम पर है, पलायन है, भूख भय और भरष्टाचार है। शिक्षा, स्वास्थ्य कानून व्यवस्था सभी भगवान भरोसे हैं। मुख्यमंत्री समस्या को ही समाधान बता रहे हैं। आमजन फटेहाल है, कंगाल बना हुआ है और राजनेता अनावश्यक बयानों से सुर्खियां बटोर रहे हैं।
ज्ञात हो कि पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को राष्ट्रीय जनता दल द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार हमलावर होने पर कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया है। नोटिस का जबाब 15 दिनों में देने को कहा है। अब यह समझना जरुरी है कि सुधाकर सिंह मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान पिछले छह महीने से दे रहे थे तो फिर राजद आलाकमान को सुधाकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने में इतना समय क्यों लग गया? फिर राजद के उन नेताओं मसलन जगदानंद सिंह और शिक्षा मंत्री के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
बयान वही जो राजनीति में सूट करे
उल्लेखनीय है की राष्ट्रीय जनता दल के जगदानंद सिंह और चंद्रशेखर यादव के बयान पर वह बिल्कुल गंभीर नहीं है। सुधाकर सिंह तो सिर्फ मुख्यमंत्री को टारगेट कर रहे हैं, लेकिन जगदानंद सिंह और चंद्रशेखर यादव ने तो हिंदुओं के आस्था से जुडे धार्मिक ग्रंथ को भ्रामक बताया है। उन्होंने इसे समाज तोडने वाला बता दिया, क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल को हिंदू धर्म के प्रति वह आस्था नहीं है जैसा कि अन्य के प्रति है। राष्ट्रीय जनता दल को सिर्फ हिंदुओं के धर्म ग्रंथों पर सवाल उठाना आता है। राष्ट्रीय जनता दल के एजेंडा में ही इस तरह के सोच है, बकौल वोट और परिवार के लिए कुछ भी करेंगे। भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं ने भी कार्रवाई के मांग की थी उस वक्त राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं का बयान होता था नुपूर शर्मा को सलाखों के पीछे डाला जाए।
लेकिन बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव जिन्होंने रामचरितमानस जैसे पवित्र ग्रंथ पर सवाल उठाया उस पर कार्रवाई नहीं कि गयी, यहाँ तक कि बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी चंद्रशेखर के बयान पर किसी तरह का प्रतिक्रिया देने से परहेज कर रहे हैं। ऐसे में क्या माना जाए कि राष्ट्रीय जनता दल रामचरितमानस को विवादित ग्रंथ मानते हैं, या फिर सामाजिक न्याय के नाम पर अगडी बनाम पिछडी जाति कीे राजनीति को फिर से जिंदा करना चाहते हैं।
राजद के बिहार प्रदेश के अध्यक्ष जगदानंद सिंह जिन्होंने रामचरितमानस को बकवास बताया उनके ऊपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं?
राजनीतिक जानकारों की माने तो सुधाकर सिंह पर कार्रवाई की बात इसलिए हुई है कि राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यू के बीच राजनीतिक द्वंद बहुत बढ गया था। मुख्यमंत्री भी असहज हो गए थे और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि दोनों गठबंधन की दरार का फायदा भाजपा को मिल सकता है इसलिए महज औपचारिकता निभाई गयी है।
राजद अपने वोट बैंक को सहेज कर रखना चाहती है वहीं रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर जदयू के वोटर को छिटकाने के कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में जदयू को चंद्रशेखर यादव और जगदानंद सिंह की खिलाफत करनी होगी अन्यथा आने वाले समय में जदयू और कमजोर हो सकता है।
(बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार। यह लेखक के निजी विचार हैं)

















