कांग्रेस- नेशनल काॅन्फ्रेंस के गठबंधन से भाजपा की चुनौती बढ़ी

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला से गठबंधन को लेकर चर्चा करते हुए। फोटो साभार एआईसीसी

-जम्मू-कश्मीर चुनाव की सियासी तस्वीर लगभग साफ

-द ओपिनियन-

जम्मू कश्मीर की चुनावी तस्वीर वस्तुतः साफ हो गई है। कौन सी पार्टी किस के खिलाफ चुनाव मैदान में होगी, यह अब लगभग तय है। अब प्रत्याशियों नामों की घोषणा का सिलसिला शुरू होने वाला है। हालांकि महबूबा मुफ्ती ने कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस और नेशनल काॅन्फ्रेंस के बीच आधिकारिक रूप से गठबंधन हो गया है और दोनों ने जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की बात कही है। हां, नेशनल काॅन्फ्रेंस इससे आगे बढ़कर भी बात कर रही है। इसमें अनुच्छेद 370 और स्वायत्तता की बहाली जैसे वादे शामिल हैं। नेशनल काॅन्फ्रेंस अपना घोषणा पत्र जारी कर चुकी है और उसने कांग्रेस के साथ गठबंधन उसके बाद ही किया है। यानी नेशनल काॅन्फ्रेंस ने जो वादे किए हैं, उनको कांग्रेस का समर्थन हासिल है। इसी बात को लेकर भाजपा ने कांग्रेस और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला है। गृह मंत्री अमित शाह ने दस सवाल पूछे हैं और इन सवालों में नेशनल काॅन्फ्रेंस के वादों को अलगाववादी बताते हुए कांग्रेस को घेरा है। भाजपा ने इस मामले को लेकर अब राज्यों की राजधानियों में भी कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया हैं। यानी जातीय जनगणना और आरक्षण को लेकर भाजपा को घेरने वाली कांग्रेस कश्मीर की स्थिति को लेकर भाजपा के सियासी हमले का सामना करने के लिए तैयार रहे। कांग्रेस व नेशनल काॅन्फ्रेंस के बीच गठबंधन के पीछे का सियासी गणित भी साफ है। हाल के लोकसभा चुनावों में वोटिंग का जो पैटर्न रहा है, उससे साफ है कि घाटी में कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही कोई खास समर्थन नहीं बचा है। अनुच्छेद 370 की समाप्ति और जम्मू कश्मीर का दर्जा घटाकर केंद्र शासित प्रदेश का करना दो ऐसे मुद्दे हैं, जिनकी वजह से भाजपा को घाटी में वोट मिलने मुश्किल हैं। इसलिए भाजपा ने साफ कह दिया है कि वह जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं करेगी और अपने बूते पर चुनाव लड़ेगी। हां, उसने घाटी में 8-10 निर्दलीय प्रत्याशियों के समर्थन की बात कही है। ऐसे में राजनीतिक तस्वीर यह उभर कर सामने आती है कि जम्मू में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है और घाटी में नेशनल काॅन्फ्रेंस और भाजपा या निर्दलीय या ऐसी ही स्थिति वाले अन्य छोटे दलों के उम्मीदवार आमने-सामने होंगे। हां, वहां पीडीपी भी चुनाव मैदान में होगी, लेकिन अब नहीं लगता कि उसका कांग्रेस या नेशनल काॅन्फ्रेंस के साथ कोई गठबंधन होगा। शनिवार को पीडीपी का चुनाव घोषणा पत्र जारी करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कांग्रेस हमारा एजेंडा माने तो हम साथ देने को तैयार हैं, फिर भले ही हम चुनाव ही नहीं लड़े। हम उसके पीछे-पीछे चलने के लिए तैयार हैं। महबूबा की शर्त कांग्रेस के लिए मानना अब संभव नहीं होगा। अब देखना यह है कि गुलाम नबी आजाद की पार्टी व अन्य छोटे दल किस तरह से चुनाव मैदान में उतरते हैं। कांग्रेस व नेशनल काॅन्फ्रेंस की रणनीति भाजपा को हराने के लिए वोटों का विभाजन रोकने की है, इसलिए जम्मू में कांग्रेस व घाटी में नेशनल काॅन्फ्रेंस के प्रत्याशी मैदान में रहने की उम्मीद है। दोनों पार्टियों के बीच हालांकि कुछ सीटों पर पेच फसा होने की खबर है। खुद उमर अब्दुल्ला ने ही यह बात कही है। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की आज यानी रविवार को बैठक हो रही है और इसमें पहले चरण के लिए प्रत्याशियों के नामों को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। कांग्रेस भी अपने प्रत्याशियों के नामों पर मंथन कर चुकी है। उम्मीद यही है कि आज-कल में कांग्रेस व नेशनल काॅन्फ्रेंस के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की जा सकती है।

कांग्रेस के चुनाव अभियान की शुरुआत गत दिनों पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व राहुल गांधी बुधवार व गुरुवार के दो दिवसीय जम्मू कश्मीर दौरे के साथ कर चुके हैं। भाजपा ने भी अपने पुराने रणनीतिकार राम माधव को वहां तैनात किया है। राम माधव ने अपने संगठनात्मक कौशल और रणनीति के बल पर 2014 में भाजपा को सत्ता में पहुंचाने की अहम भूमिका निभाई थी। भाजपा को हालांकि स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था लेकिन जम्मू क्षेत्र में शानदार सफलता दर्ज करते हुए 25 सीटों के साथ दूसरी सबसे बडी पार्टी बनकर उभरी और अंततः पीडीपी के साथ गठबंधन कर सत्ता भी हासिल की। हालांकि बाद में यह गठबंधन टूट गया लेकिन इसकी वजह कुछ दूसरी रही। तब भाजपा ने अनुच्छेद 370 समाप्त करने समेत अन्य साहसिक कदम उठाने की रणनीति बनाई और एक असंभव से लगने वाले काम को संभव कर दिखाया। अब देखना यह है कि क्या राम माधव भाजपा को अपने बूते पर सत्ता में पहुंचा सकते हैं या नहीं। क्योंकि सारी व्यूहरचना हो चुकी है।

राहुल ने बताया कश्मीर से मेरा खून का रिश्ता
राहुल गांधी ने अपने दौरे में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा, हर बार जब मैं यहां आता हूं, तो मुझे और भी अधिक एहसास होता है कि मेरा आप सभी के साथ पुराना और खून का रिश्ता है। अगर कोई है जिसने जम्मू-कश्मीर में आत्मविश्वास और बहादुरी के साथ काम किया है, तो वे कांग्रेस के नेता हैं। मैं जानता हूं कि आप सभी किस दौर से गुजर रहे हैं।‘
राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर तंज भी कसा; कहा कि पहले नरेंद्र मोदी छाती फैलाकर आते थे अब झुककर आते हैं। उनके आत्मविश्वास को हमने तोड़ दिया है। खरगे राहुल गांधी ने जमीनी स्तर पर तैयारियों पर फीडबैक लेने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत भी की। वह भाजपा को चुनावी चुनौती में हराने के लिए अब पहले से अधिक आत्मविश्वास से भरे नजर आते हैं। इसलिए भाजपा के लिए चुनाव राह आसान नहीं है।

कल्पना से परे युंगफ्रा…

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