
-अखिलेश कुमार-

फोटो जर्नलिस्ट
कोटा। ब्रज की फूलों की होली जग प्रसिद्ध है। हालांकि यह फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज से मनाई जाती है। लेकिन फूलों की होली को कलाकारों ने दशहरा मेला के अवसर पर अवसर पर जीवंत कर दिया। फुलेरा दूज से ही ब्रज में होली की शुरुआत होती है। ब्रज में श्री कृष्ण के साथ फूलों की होली खेली जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्णं ने होली खेलने की शुरुआत की थी।

फोटो जर्नलिस्ट अखिलेश कुमार ने कोटा दशहरा मेला के विजयश्री रंगमंच पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में ब्रज के कलाकारों की फूलों की होली के दृश्य बडी खूबसूरती से अपने कैमरे में कैद किए। जिन लोगों ने फूलों की होली देखी है वह भी इन चित्रों के माध्यम से कलाकारों के मंचन को दुबारा याद रख सकेंगे जबकि जो ब्रज में इस आयोजन का हिस्सा बन चुके हैं उनकी स्मृति ताजा हो जाएगी।

धार्मिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण व्यस्तता के कारण लंबे समय राधारानी से मिलने नहीं आ सके। इस कारण राधा रानी और गोपियां काफी दुखी हो गईं। उनकी नाराजगी का असर प्रकृति पर दिखने लगा। फूल और वन सूखने लगे। प्रकृति की ये हालत देखकर श्रीकृष्ण को राधा की हालत का अंदाजा लग गया। इसके बाद वे बरसाने पहुंचकर राधारानी से मिले। इससे वे प्रसन्न हो गईं और सारी तरफ हरियाली छा गई।

श्रीकृष्ण ने एक फूल तोड़ा और राधारानी पर फेंक दिया। वहीं, राधा रानी ने भी कृष्ण पर फूल तोड़कर फेंक दिया। इसके बाद गोपियों ने भी एक-दूसरे पर फूल फेंकने शुरू कर दिए और चारों ओर फूलों की होली शुरु हो गई। तभी से इस दिन फुलेरा दूज मनाई जाती है
