
-विष्णुदेव मंडल-

(तमिलनाडु के स्वतंत्र पत्रकार)
चेन्नई। तमिलनाडु के जिला मुख्यालय और तहसीलों में मौजूदा राज्य सरकार और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उनके पुत्र उदयनिधि स्टालिन हिंदी के विरोध में खुलकर उतर आए हैं। यह विरोध इसलिए शुरू हुआ क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विगत 2 अक्टूबर को मध्य प्रदेश में एक पुस्तक के विमोचन के यह कहा था कि प्रत्येक भारतीय को अंग्रेजी भाषा की जगह हिंदी को अपनाना चाहिए। अर्थात मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी भाषा में की जानी चाहिए जो मध्य प्रदेश सरकार ने लागू भी कर दी है। बहरहाल तमिलनाडु में हिंदी विरोध की रिपोर्ट आज तमिलनाडु के विधानसभा के पटल पर रखी जाएगी। तमिलनाडु के विधानसभा अध्यक्ष अपावु के अनुसार आज मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा राज्य में हिंदी थोपने के खिलाफ विधानसभा में चर्चा कराई जाएगी।
हिंदी थोपने के विरोध मे तमिलनाडु के अलग अलग राजनीतिक दल के नेता एक मंच पर
स्टालिन ने देश के संघीय ढांचे के खिलाफ बताया
यहां उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने 16 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र के हवाले से आगाह किया है कि केंद्र सरकार संघीय ढांचा को बनाए रखने के लिए अहिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का जुर्रत नहीं करे। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने प्रधानमंत्री के लिखे पत्र में कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में संसदीय समिति द्वारा हिंदी को दूसरी भाषा के रूप में उपयोग करने की सिफारिश की है, जो देश की संघीय ढांचे के खिलाफ है। अहिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपना और अव्यवहारिक और खतरनाक है जो किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। प्रत्येक राज्य की मातृभाषा उनका स्वाभिमान है, जिसकी रक्षा करना उन राज्यों की जिम्मेदारी बनती है। भारत में भी बहुतेरे राज्य ऐसे हैं जिनकी अपनी भाषा प्यारी है। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा हिंदी भाषा को थोपना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। देश में सभी रीजनल भाषाओं और तमिल भाषा का भी सम्मान होना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार हमेशा से अहिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का प्रयास करती रही है जो व्यावहारिक और संघीय ढांचा के खिलाफ है। फिलहाल तमिलनाडु में हिंदी थोपने के खिलाफ डीएमके यूथ विंग के अध्यक्ष उदयनिधि स्टालिन राज्य के अलग-अलग हिस्सों में जाकर लोगों को केंद्र सरकार के खिलाफ गोलबंद कर रहे हैं।
# टैग stop hindi impose के साथ डीएमके नेता उदय निधि स्टालिन
उदयनिधि को राजनीति में चमकाने का प्रयास
तमिलनाडु में हो रही हिंदी विरोध के बारे मे राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जिस प्रकार हिंदी के विरोध कर एम करूणानिधि राज्य की राजनीति में लोकप्रिय नेता बने थे ठीक उसी तरह एमके स्टालिन अपने पुत्र उदयनिधि स्टालिन को राजनीति में शिखर पर पहुंचाना चाहते हैं। यह भाषा की विरोध नहीं बल्कि अपने पुत्र उदयनिधि स्टालिन को राजनीति को उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयोग है। गौरतलब है कि जहां तमिलनाडु में राजनीतिक पार्टियां हिंदी भाषा के विरोध में खड़ी हैं वही हिंदी प्रचार सभा के अनुसार तमिलनाडु में पिछले साल तीन लाख से भी ज्यादा तमिल भाषी लोग हिंदी की परीक्षा में शामिल हुए हैं जिनमें से अधिकांश राष्ट्रीयकृत बैंकों में और सरकारी कार्यालयों में कार्यरत थे। वही सिविल सर्विस की परीक्षा या अन्य केंद्रीय योजना के तहत परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं ने भी हिंदी प्रचार सभा के तहत हिंदी की परीक्षा में शामिल हुए थे। खासकर कोविड-19 के समय भारी संख्या में लोग पत्राचार के माध्यम से हिंदी सीख रहे थे।
तमिलनाडु में हिंदी विरोध के बारे में यहाँ प्रवासीत कई लोगों ने अपनी राय व्यक्त की हैं…
डीएमके की राजनीति हमेशा से हिंदी विरोधी
-डीएमके की राजनीति हमेशा से हिंदी विरोधी रही है। डीएमके का गठन हिंदी के विरोध पर कायम है,जबकि जमीनी स्तर पर लोगों में हिंदी का कोई विरोध नहीं है। जो लोग आज हिंदी विरोध में खड़े हैं, वही लोग चुनाव के वक्त हिंदी भाषी बहुल इलाकों में वोट मांगने के लिए हिंदी में प्रचार करते दिखाई देते हैं। भारतीय जनता पार्टी किसी भी भाषा की अपमान नहीं करती।
अमरनाथ मिश्र, अध्यक्ष भाजपा, उत्तर चेन्नई अन्य भाषा विंग
विरोध सिर्फ राजनीतिक
– यह विरोध सिर्फ राजनीतिक है। जिस तरह हिंदी भाषी लोगों ने तमिल भाषा को गले लगाया है उसी प्रकार यहाँ के लोगों में भी हिंदी के प्रति सम्मान है। जो अन्य राज्यों मे नौकरी करना चाहते हैं वह खुलेमन से हिंदी पढना चाहते हैं। लेकिन राजनीति के कारण लोग भाषायी विरोध करते हैं।
अनिल शर्मा, अनावरण निवासी
राजनीतिक स्टंट
-हिंदी भाषा का विरोध सिर्फ एक राजनीति स्टंट है; भाषा के विरोध कीे बदौलत मुख्यमंत्री अपने पुत्र उदय निधि स्टालिन को राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री हिंदी थोपने के नाम पर तमिल भाषियों को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं जो बेहद चिंताजनक है!
बिमलेश पांडे, नौकरी पेशा
विरोध से निवेश पर पडेगा असर
– तमिलनाडु इंडस्ट्रियल हब है। यहां वे उद्योगपति निवेश करना चाहते हैं जो अन्य राज्य या फिर हिंदी भाषी राज्यों से आते हैं। यदि यहां पर हिंदी का प्रचार हो जाए तो भारी संख्या में इन्वेस्टर यहां आएंगे। लेकिन जिस कदर तमिलनाडु सरकार हिंदी की विरोध को हवा देने लगी है, ऐसे में कोई भी निवेशक पर यहां पर उद्योग लगाने का जोखिम नहीं उठाएंगे।
सत्यम दुबे,छात्र
सिर्फ राजनीतिक उद्देश्य
-पिछले साल दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के माध्यम से 300000 छात्र-छात्राएं हिंदी में परीक्षार्थी बने थे। ऐसे में हिंदी का विरोध सिर्फ राजनीति चमकाने के लिए किया जा रही है।
जी, सेल्वा कुमार, महासचिव, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, टीनगर।