क्या केवल सम्मेलन आयोजित करने और नेताओं के भाषणों से संविधान की रक्षा हो जाएगी!

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फोटो साभार सोशल मीडिया
सवाल खड़ा होता है कि क्या संविधान रक्षक ईमानदारी से बना रहे हैं या बनाए जा रहे हैं या फिर केवल कागजों की खानापूर्ति है। संविधान रक्षक है तो वह जमीन पर नजर क्यों नहीं आ रहे हैं क्योंकि यदि संविधान रक्षक जमीन पर होते तो कांग्रेस हाल ही में चार राज्यों के हुए चुनाव में हारती नहीं।

-देवेंद्र यादव-

devendra yadav
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस का लगभग 2 वर्ष से संविधान बचाओ अभियान चल रहा है। पार्टी देश भर में संविधान रक्षक सम्मेलनों का आयोजन कर संविधान रक्षक बना रही है। अब तक पार्टी के कितने संविधान रक्षक बने यह ठीक से पता नहीं है। संविधान रक्षक सम्मेलन अभी भी जारी हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी शनिवार को पार्टी का संविधान रक्षक सम्मेलन आयोजित किया गया इसमें बड़ी संख्या में राजस्थान भर से बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति जनजाति और अल्पसंख्यक वर्ग और पिछड़ा वर्ग कार्यकर्ता और नेताओं ने भाग लिया। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के ओबीसी विभाग के अध्यक्ष कैप्टन अजय यादव, कांग्रेस के राष्ट्रीय सह प्रभारी चिरंजीवी राव की मौजूदगी में हुए सम्मेलन में उपस्थित लोगों ने संविधान को बचाने का प्रण लिया मगर सवाल यह है कि क्या केवल सम्मेलन आयोजित करने और सम्मेलन में नेताओं के भाषणों से संविधान की रक्षा हो जाएगी। क्या इसके लिए कांग्रेस के द्वारा बनाए गए संविधान रक्षक को घर-घर जाकर लोगों को संविधान के महत्व को समझने और बताने की आवश्यकता नहीं है। यही कांग्रेस के पास समय है जब पता चल सकता है कि वह जो संविधान रक्षक बना रही है वह जमीन पर भी काम कर रहे हैं या केवल कागजों की खानापूर्ति है।

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जयपुर में आयोजित संविधान रक्षक सम्मेलन से एक सवाल यह निकलकर सामने आया जब राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने संबोधन में कहा कि राजस्थान में आगामी दिनों में होने वाले पंचायत राज और निकाय चुनाव में ऐसे कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में उतारा जाएगा जो जनता के बीच काम कर रहे हैं। उन्होंनेे ओबीसी अध्यक्ष हर सहाय यादव, अनुसूचित जाति अध्यक्ष डॉक्टर शंकर यादव, अनुसूचित जनजाति अध्यक्ष शंकर मीणा, अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष अर्पित कागजी से कहा कि वह ऐसे कार्यकर्ताओं को चिन्हित करें जो जमीन पर काम कर रहे हैं और जीत सकते हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डोटासरा का प्लान सही है मगर यह इंप्लीमेंट हो तब।
बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के संविधान बचाओ अभियान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जरूरी है संविधान रक्षक अब घर-घर पहुंचे और बताएं कि संविधान खतरे में क्यों है और कांग्रेस संविधान को खतरे से क्यों बचाना चाहती है।

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फोटो साभार सोशल मीडिया

यदि कांग्रेस और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी गंभीर है तो लगभग 2 वर्ष से चल रहे संविधान रक्षक अभियान का मूल्यांकन भी हो जाएगा जब वह संविधान रक्षक को घर-घर में लोगों को संविधान के बारे में समझाते हुए देखेंगे। क्योंकि प्रदेश स्तर के संविधान रक्षक सम्मेलनों में भी कांग्रेस के राष्ट्रीय संयोजकों की उपस्थिति नहीं देखी जाती है जबकि इस अभियान की कमान अनुसूचित जाति जनजाति ओबीसी वर्ग अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं के कंधों पर दे रखी है। मगर यह सारे नेता एक साथ संविधान रक्षक सम्मेलनों में उपस्थित नहीं होते हैं। सवाल खड़ा होता है कि क्या संविधान रक्षक ईमानदारी से बना रहे हैं या बनाए जा रहे हैं या फिर केवल कागजों की खानापूर्ति है। संविधान रक्षक है तो वह जमीन पर नजर क्यों नहीं आ रहे हैं क्योंकि यदि संविधान रक्षक जमीन पर होते तो कांग्रेस हाल ही में चार राज्यों के हुए चुनाव में हारती नहीं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और यह लेखक के निजी विचार हैं)

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