
-देवेन्द्र यादव-

जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव के ऐलान होने के बाद राजनीतिक गलियारों में कश्मीरी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की कांग्रेस में वापसी को लेकर तेजी से खबरें तैरने लगीं। यह सवाल खड़ा हुआ कि क्या गुलाम नबी आजाद की घर वापसी से राहुल गांधी के बब्बर शेर खुश होंगे। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कांग्रेस के भीतर वफादारी और रगड़ाई का ठेका केवल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ही ले रखा है क्या ? कांग्रेस के गर्दिश के समय राहुल गांधी पर आरोप लगाकर कई वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस को छोड़कर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा, या कांग्रेस छोड़कर नेताओं ने अपनी अलग से पार्टी बनाई। अब जब कांग्रेस का बब्बर शेर पूरी ईमानदारी वफादारी और ताकत के साथ राहुल गांधी के साथ जुटा और कांग्रेस ने बब्बर शेरों के दम और ताकत के बल पर एक दशक बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में 99 सीट जीतीं। इसी से राहुल गांधी पहली बार लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता बने।
कांग्रेस ने यह करिश्मा उन नेताओं के बगैर करके दिखाया जो नेता कांग्रेस के बुरे वक्त में कांग्रेस छोड़कर अन्य दलों में चले गए या उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली।
कांग्रेस के रणनीतिकारों को कांग्रेस छोड़कर अन्य दलों में गए नेताओं को घर वापसी करवाने से पहले, यह देखना होगा कि उन नेताओं में अब कितना राजनीतिक दम बचा है।
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाई। क्या गुलाम नबी आजाद ने नई पार्टी बनाकर लोकसभा चुनाव 2024 में किसी भी लोकसभा क्षेत्र से कोई सीट जीती। और कांग्रेस को गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़कर जाने के बाद कितना नुकसान हुआ। क्या कांग्रेस को आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने मत नहीं दिए।
2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीट मिलने का कारण राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ईमानदार मेहनत थी। दोनों नेताओं की मेहनत के कारण कांग्रेस का बब्बर शेर अपने घरों से निकला और कांग्रेस को बड़ी जीत दिलवाई।
सवाल यह है कि कांग्रेस के भीतर वह कौन नेता हैं जो राहुल गांधी की राजनीतिक हैसियत पर प्रश्न चिन्ह और आरोप लगाकर कांग्रेस से अलग होकर भाजपा का दामन थामने वाले उन नेताओं को कांग्रेस में वापसी करने की पैरवी कर रहे हैं। क्या वह नेता राहुल गांधी के राजनीतिक दोस्त हैं या फिर राजनीतिक दुश्मन है। क्योंकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राहुल गांधी के लिए कांग्रेस के भीतर एक नई और मजबूत टीम बनाना चाहते हैं जिसमें शायद वह एक भी नेता नहीं होगा जिन्होंने कांग्रेस के बुरे वक्त में पार्टी से किनारा किया था। कांग्रेस के बुरे वक्त में राहुल गांधी और कांग्रेस पर गंभीर राजनीतिक आरोप लगाकर जो नेता कांग्रेस छोड़कर अन्य दलों में शामिल हो रहे थे तब राहुल गांधी ने उन नेताओं को रोकने का प्रयास नहीं किया तो अब कांग्रेस के रणनीतिकारों के सामने ऐसी कौन सी मजबूरी आन पड़ी की वह कांग्रेस छोड़कर गए नेताओं की घर वापसी करवाने के प्रयास में जुटते नजर आ रहे हैं। जबकि कुछ समय पहले ही दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस की बड़ी बैठक हुई थी। उस बैठक से समाचार निकल कर आया था कि जिन नेताओं ने कांग्रेस को बुरे वक्त में छोड़ा था उन नेताओं की कांग्रेस में वापसी नहीं होगी। इस खबर को सुनकर राहुल गांधी के बब्बर शेर खुश हुए थे और उन्हें लगने लगा था कि अब उनका भी वक्त आएगा। मगर जब वह राजनीतिक गलियारों में आजाद जैसे नेताओं की घर वापसी के समाचार सुन रहे होंगे तो शायद राहुल गांधी के बब्बर शेर मायूस भी होंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)
नोटः गुलाम नबी आजाद की पार्टी डेमाक्रेटिक प्रोग्रसिव आजाद पार्टी की ओर से मुख्य प्रवक्ता ने पत्र जारी किया है। इस पत्र में गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस में शामिल होने और कांग्रेस नेताओं से मुलाकात को अफवाह करार दिया है।