
-ए एच जैदी-

(नेचर प्रमोटर)
विरासत प्रेमियों का एक दल कोटा के अभेड़ा के आसपास के क्षेत्र में प्रकृति और जंगल के अध्ययन के लिए गया।
यह दल ने जंगल का अध्ययन करते करते शंभूपुरा ओर रामपुरिया तक पहुंच गया। यह वन क्षेत्र में शामिल है और इसका बड़ा भाग वन मंडल के अधीन है। ग्रामीणों ने बताया कि इसका कुछ हिस्सा वन्यजीव विभाग के पास है। रोड साइड से तो यह मार्ग लगभग 10 किलोमीटर दूर है। लेकिन यहां के ग्रामीणों ने क्लोजर के अंदर से शॉर्ट कट बनाया हुआ है। वो बताते हैं कि करनी माता मंदिर से यहां सिर्फ 4 किलो मीटर की दूरी पर है। बारिश में आवाजाही में परेशानी होती है। इसके लिए तीन ।तालाब और अनेकों पोखर तथा गड्ढे पार कर जाना होता है।
इस जंगल में कुछ हिस्सा आर्मी के पास भी है। हमने पता किया तो बताया इन तलैया में जंगली जानवर ही नहीं परिंदे ओर हमारे मवेशी भी पानी पीते हैं।

शंभु पूरा मार्ग पर एक टी स्टाल ढाबा। है। उसके मालिक ने बताया कि रात को जब जाता हूं बर्तनों की धुलाई कर बचा हुआ पानी फेंक कर जाता हूं। देर रात भालू कई बार पानी पीने आता है। यहां आसपास पानी नहीं है। अभी रामपुरिया गांव वाली तलाई में थोडा सा पानी है लेकिन यह अप्रैल तक सूख जाएगा।
अध्ययन दल में अनिल शर्मा, ज्योति सक्सेना, सुधांशु सक्सेना ने कहा बहुत बढ़िया जंगल है। इन तलैया को गहरा करें और ऐसी व्यवस्था करें कि वर्ष भर पानी भरा रहे। यहां पैंथर,भालू , हाइना, सियार, चिंकारा तथा नील गाय विचरण करते हैं। यह पथरीला इलाका है।
इन सभी वन्य जीवों को पानी की दरकार रहेगी इसलिए वन मंडल इन तलैयों को गहरा करने का कार्य मई तक पूरा करने की योजना बनाए। जो तालाब और तलैया सूख गई हैं। सरकार उनमें आने वाले समय में वर्ष भर पानी रहे ऐसी योजना बनाए।