आंखों देखीः संगत का असर

ब्लैक ड्रोंगों बहुत बहादुर होती है और छोटे बाज या शिकरा जैसे शिकारी पक्षी से भी मुकाबला कर के उस को भागने को मजबूर कर देती है। पैराडाइज फ्लाईकैचर और गोल्डन ओरियोल और दूसरी छोटी चिड़िया अपना घोंसला उसी पेड़ पर बनाती हैं जहा ड्रोंगो का घोंसला हो। ये इसलिए कि शिकारी पक्षियों से उनके बच्चों की रक्षा हो सके।

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-देवेन्द्र कुमार शर्मा-

देवेन्द्र कुमार शर्मा

कोटा। ब्लैक ड्रोंगों Black Drongo काले रंग की एक सुंदर चिड़िया है। उसका हिंदी नाम कोतवाल या भुजंगा है। इस चिड़िया का भोजन कीट पतंगे हैं जिन्हें ये हवा में उड़ते हुए पकड़ लेती है। ब्लैक ड्रोंगों बहुत बहादुर होती है और छोटे बाज या शिकरा जैसे शिकारी पक्षी से भी मुकाबला कर के उस को भागने को मजबूर कर देती है। इसकी पूंछ मछली की तरह पीछे दो भाग में बंटी होती है जिस के संचालन से ये हवा में अपनी दिशा बहुत तेजी से बदल लेती है और शिकारी पक्षी के हाथ नहीं आती।

पैराडाइज फ्लाईकैचर और गोल्डन ओरियोल और दूसरी छोटी चिड़िया अपना घोंसला उसी पेड़ पर बनाती हैं जहा ड्रोंगो का घोंसला हो। ये इसलिए कि शिकारी पक्षियों से उनके बच्चों की रक्षा हो सके।

कल अभेड़ा तालाब से लौटते समय हम सड़क किनारे एक चाय की दुकान पर रुके। दुकान के पास बिजली के खंभे और तारो पर आठ से दस ड्रोंगो उछल कूद कर रहे थे। तभी हमने देखा दो तीन ड्रोंगो जमीन पर पड़े नमकीन के दाने उठाती और उड़ जाती। हमें बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि ड्रोंगो का भोजन तो हवा में उड़ने वाले कीड़े हैं। हमने और नमकीन उनके सामने फेंका तो वो बड़ी प्रतिस्पर्धा से उस को खाने लगी।
दाने को जमीन से जिस तीव्र गति से ये उठाती है वो देखने लायक है।
संगत का असर सब पर पड़ता है, इसका उदाहरण ये पक्षी हैं। जिसने शहर में रह कर अपना खान पान बदल लिया है। मैने इस दृश्य को अपने मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड किया है जिसे आप यहां देख सकते हैं।

(लेखक रेलवे के सेवानिवृत अधिकारी हैं और पर्यावरण, वन्य जीव एवं पक्षियों के अध्ययन के क्षेत्र में कार्यरत हैं)

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