राजस्थान के बजट में अशोक गहलोत के घोषणा का पिटारा खोले जाने से भाजपा चिंतित

अशोक गहलोत ने न केवल राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को न केवल लागू किया बल्कि लोगों के चिकित्सा बीमा, चिकित्सा सुविधा समेत अनेक कई सुविधाओं को लागू किया और 50 यूनिट तक घरेलू उपभोक्ताओं को न केवल मुफ्त में दी थी बल्कि उसके बाद में रियायती दर पर बिजली की व्यवस्था की है और यह भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को आशंका सता रही है कि कल पेश किए जाने वाले बजट में मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता को 200 से 300 यूनिट हर महीने मुफ्त बिजली देने की घोषणा करके दिल्ली और पंजाब की तर्ज पर तोहफा दे सकते हैं

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अशोक गहलोत फाइल फोटो

-कृष्ण बलदेव हाडा-

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कृष्ण बलदेव हाडा

राजस्थान विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वित्त मंत्री के रूप में अपने इस कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करने जा रहे हैं। इसको लेकर चिंता सबसे ज्यादा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को है। चिंता की बड़ी वजह है कि पिछले 4 सालों के शासनकाल के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत ने कई ऐसी महत्वपूर्ण घोषणा की है जिनके चलते सत्ता में वापसी की बागडोर संभालने की भारतीय जनता पार्टी की आशाओं पर कुठाराघात होता नजर आ रहा है क्योंकि इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न केवल राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को न केवल लागू किया बल्कि लोगों के चिकित्सा बीमा, चिकित्सा सुविधा समेत अनेक कई सुविधाओं को लागू किया और 50 यूनिट तक घरेलू उपभोक्ताओं को न केवल मुफ्त में दी थी बल्कि उसके बाद में रियायती दर पर बिजली की व्यवस्था की है और यह भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को आशंका सता रही है कि कल पेश किए जाने वाले बजट में मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता को 200 से 300 यूनिट हर महीने मुफ्त बिजली देने की घोषणा करके दिल्ली और पंजाब की तर्ज पर तोहफा दे सकते हैं जो इस चुनावी साल में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की नींद उड़ा सकती। ऐसे में उनकी चिंता वाजिब है।
कल पेश होने वाले बजट से वैसे भी प्रदेश की जनता को बहुत सारी उम्मीदें हैं क्योंकि यह राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का एक मुख्यमंत्री के रूप में अंतिम कार्यकाल भी हो सकता है और लोग यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि अपनी सत्ता की राजनीति के अंतिम साल में अशोक गहलोत यादगार बनाने के लिए हर संभव उपाय कर सकते हैं जिसके चलते वे कई जन कल्याणकारी योजनाओं को घोषित कर सकते हैं। हालांकि इसका आने वाली सरकार पर कितना प्रभाव पड़ेगा, अलग मुद्दा है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं)

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