
-अखिलेश कुमार-

यह तस्वीर कोटा बूंदी हाइवे पर शंभूपुरा के पास की है। जहां एक मादा भेड़िया सड़क दुर्घटना की शिकार हो गई। किसी वन्यजीव की इस प्रकार मौत वन्यजीव प्रेमियों के लिए दु:खद तो ही लेकिन इससे भी पीड़ादायक बात इस वन्यजीव की स्वास्थ की स्थिति है। इसकी हालत देखकर लगता है कि उसे पिछले कई दिनों से जंगल में आहार भी नहीं मिल रहा होगा। जंगल का चप्पा चप्पा लोगों के अवैध घुसपैठ का शिकार है। यहां वन विभाग का निगरानी तंत्र भी प्रश्न के घेरे में है…
अभी हाल ही में नेचर प्रमोटर ए एच जैदी ने अभेडा के जंगलों के हालात का विवरण दिया था। इसमें उन्होंने शोधार्थियों के साथ क्षेत्र का दौरा किया था। जंगल में ताल तलैया सूखने लगे हैं जिससे वन्य जीवों के लिए गर्मियों में पानी की समस्या होगी। इसी तरह मुकुंदरा में बाघ के लिए तो प्रे बेस की तैयारी की जा रही है लेकिन सियार जैसे छोटे वन्य जीवों के लिए कुछ नहीं किया जा रहा। यदि सियार या लकडबग्घे जैसे वन्य जीव नहीं होंगे तो जंगल बाघों के रहने लायक भी नहीं रह जाएंगे।
(उपरोक्त तस्वीरें मेरे मित्र श्री जितेंद्र सिंह जादौन ने उपलब्ध करवाई है)
अभेड़ा क्षेत्र के जंगल की तलैया सूखीं, वन्य जीवों की कैसी बुझेगी प्यास!