अक्षय नवमी यानी आंवला नवमी आज

-राजेन्द्र गुप्ता-

हर साल अक्षय नवमी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस शुभ दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। आंवले के पेड़ के नीचे भोजन भी बनाया जाता है।  इस भोजन को सबसे पहले भगवान विष्णु और महादेव को अर्पित किया जाता है। सनातन धर्मग्रंथों से पता चलता है कि लक्ष्मी जी ने सबसे पहले आंवले के पेड़ की पूजा की थी। पेड़ के नीचे भोजन बनाकर उन्होंने भगवान विष्णु और महादेव को खिलाया। तब से हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी  मनाई जाती है। इस शुभ दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

अक्षय नवमी की तिथि
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कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि आरम्भ: 09 नवंबर, रात्रि 10: 45 मिनट पर
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि समाप्त: 10 नवंबर, रात्रि 09: 01 मिनट पर
उदया तिथि के अनुसार  10 नवंबर को अक्षय नवमी मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं व्रत रख सकती हैं।

अक्षय नवमी का शुभ योग
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ज्योतिषियों की मानें तो आंवला नवमी पर दुर्लभ ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग 11 नवंबर  देर रात 01 बजकर 42 मिनट तक है। साधक प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद विधिपूर्वक आंवला पेड़ की पूजा कर सकते हैं। इस शुभ अवसर पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, नवमी तिथि तक दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में आंवला पेड़ की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

अक्षय नवमी की पूजा विधि
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प्रातः काल जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद आंवले के वृक्ष पर गंगाजल चढ़ाएं और रोली, चंदन, पुष्प आदि से श्रृंगार करें।
इसके बाद आंवले के पेड़ के नीचे घी का दीया जलाएं।
अब पेड़ की सात बार परिक्रमा करें।
परिक्रमा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे फल, मिठाई आदि का नैवेद्य अर्पित करें।
अक्षय नवमी के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है,  इसलिए उनकी भी पूजा अर्चना करें।
मंत्र जाप के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
संभव हो तो अपनी क्षमता अनुसार  किसी जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र आदि दान कर सकते हैं।
शाम को पूजा के बाद सुख-समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना करें और व्रत का पारण करें।

अक्षय नवमी का महत्व
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जैसा कि ‘अक्षय’ नाम से पता चलता है, इस दिन किए गए किसी भी दान या भक्तिपूर्ण कार्य से अनंत फल प्राप्त होते हैं; अर्जित पुण्य न केवल इस जीवन में बल्कि भविष्य के जन्मों में भी व्यक्ति को लाभ पहुंचाता है। आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु ने कुष्मांडक नामक राक्षस का वध किया था। यह भी माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने आंवला नवमी के दिन कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा की थी।

अक्षय नवमी पर किए जाने वाले शुभ कार्य
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जहां कार्तिक का पूरा महीना पवित्र नदियों में स्नान के लिए महत्व रखता है, वहीं नवमी को स्नान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन पकाना और खाना विशेष रूप से सार्थक होता है, क्योंकि इससे उत्तम स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
अक्षय नवमी के शुभ अवसर पर मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा भी की जाती है, जिसके बारे में मान्यता है कि इससे व्यक्ति को वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175

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