सूरज -सी चमके यह हिन्दी

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    -प्रो आदित्य कुमार गुप्ता-

aditya kumar
डाँ आदित्य कुमार गुप्ता

हिन्दी का   श्रृंगार   करें हम,
मान मिले हिन्दी को घर घर।
यह भारत का स्वाभिमान है,
अपनी हिन्दी भाषा मनहर।।

हिन्दी की फुलवारी फूले,
यह ऊँचे अम्बर को छू ले।
हम सबकी माता है हिन्दी,
इसको कोई कभी ना भूले।

हिन्दी की बगिया मे महकें
तुलसी सूर  कबीरा   मीरा।
केशव और बिहारी  भूषण,
था  रसखान सुहाना हीरा।

दिव्य ज्ञान ग्रन्थों से मिलता,
हिन्दी की है  अजब कहानी ।
हिन्दी का साहित्य अमर है,
इसमें मिलती नयी रवानी ।
पंत ,प्रसाद , महादेवी ने,
इसका मनहर रूप सँवारा।
दिनकर और निराला ने भी,
इस पर अपना सब कुछ वारा।

लगती सबको प्यारी हिन्दी,
ज्यों माथे पर सजती बिन्दी।
विश्व गगन में यह छा जाये,
सूरज-सी चमके यह हिन्दी।।

मेह नेह को बरसाती यह
भाव अनोखे सरसाती यह।
जब गाते हें गीत प्यार के ,
मन ही मन हरषाती  यह ।

सुख-दुख की अभिव्यक्ति इसी से
जन जन की  अनुरक्ति  इसी से ।
एक  सूत्र   में बाँधे    सबको
ऐसी अनुपम शक्ति  इसी में ।

मिलन-वियोगों की भाषा यह,
यह जन-जन की रही दुलारी ।
प्रेमचंद, परसाई,       बच्चन,
इन सबके प्राणों की प्यारी ।

महावीर द्विवेदी  हरिऔध ने
इसे सुधारा  भरी   रवानी।
भारतेन्दु के हृदय बसी यह,
यह भाषा सबसे लसानी ।।

हिन्दी का परचम लहरायें,
घर-घर ऐसी अलख जगाये़ं ।
लिखें पढ़े हिन्दी को सब ही,
हिन्दी के प्रति प्रेम बढ़ायें।।

शान हिन्द की प्यारी हिन्दी,
मान देश का है यह हिन्दी ।
हिन्दी हिमगिरि-सी उन्नत हो,
सूरज सी चमके यह हिन्दी ।।
    प्रो आदित्य कुमार गुप्ता।

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