दो पल्ले वाले दरवाजे

house

– विवेक कुमार मिश्र

vivek kumar mishra
विवेक कुमार मिश्र

पुराने घर इस बात से पुराने नहीं होते कि
बहुत पहले उन्हें बनाया गया था
पुराने वे इसलिए होते हैं कि
उन्हें आज भी संभाल कर रखा गया है
इतना ही नहीं उनकी दीवारों से लेकर
खिड़कियां और दरवाजे
सब समय की पहचान को
पुख्ता करते रहते हैं
पुराने मन से पुराने घर होते हैं
वे खुले होते हैं
अचानक धड़ाम से
उनका दरवाजा बंद नहीं होता
न ही अचानक खुल जाता है
दो पल्ले वाले दरवाजे
बिल्कुल ही अचानक से नहीं खुलते
न ही बंद होते
ये दरवाजे बाहर से भीतर को जोड़ते रहते हैं
यहां होना न होना दोनों ही महत्वपूर्ण होता है
दो पल्ले के दरवाजे संभाल कर रखते हैं
जीवन की कथाएं
यहां से कुछ भी खत्म नहीं होता
यहां अंततः सभी बातें, सभी कहानियां
दर्ज रहती हैं यहां से कुछ भी खत्म नहीं होता
यहां से हर कथा, हर आवाज पहुंच जाती है
जहां उसे जाना होता है
पुराने दरवाजे मन की तरह ही
आत्मा को भी संभाल कर रखते हैं
यहां से कुछ भी खत्म नहीं होता
पुराने घर के पुराने दरवाजे
केवल पुराने भर नहीं होते
पुराने दरवाजे संभाल कर रखते हैं
सभ्यता और संस्कृति को
माटी में सनी हुई जड़ों की तरह।

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