
-डॉ.रामावतार सागर-

उसने हमको जाना ना
दिल से अपना माना ना
कसमें खाना आसां है
मुश्किल कसम निभाना ना
क्या करते हो बतलाओ
खाना और कमाना ना
फुर्सत क्या मिलती होगी
फिर भी मिलने आना ना
तुमको बस आता क्या है
मुझको ही तड़फाना ना
मेरी हर हाँ का जवाब
ना ना ना ना ना ना ना
सागर तुम भी कह दो बस
तुम बिन और ठिकाना ना
डॉ.रामावतार सागर
कोटा, राज.
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