
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
कोटा। जीवन चलने का नाम है। एक जगह रुका हुआ पानी भी सड़ांध मारने लगता है। शायद यही सोच राजस्थान के रेबारी समुदाय की है। यह घुमंतु जाति इसी सोच के साथ अपने रेवड़ के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान का सफर करती है। अपने रेवड के साथ चलते-चलते जहां थक गए वहीं डेरा डालकर विश्राम किया।

क्या बच्चा, क्या जवान और महिला सभी एक साथ सफर करते हैं। रेवड़ की कमान संभालने में स्त्रियां भी पीछे नहीं रहती। हाईवे पर ट्रकों के बीच रेवड़ को एक साइड में सफलतापूर्वक निकालने में यह स्त्रियां भी माहिर होती हैं। कोटा से गुजर रहे रेबारियों के रंग बिरंगे सजे ऊंट और परम्परागत पोशाक में उनकी स्त्रियों को अपने कैमरे में कैद किया फोटो जर्नलिस्ट अखिलेश कुमार ने।

हम किसी से कम नहीं के स्थान पर हम सा कोई नहीं। इतनी कठिन परिस्थितियों और दुरूह जीवन के बीच तन और मन दोनों ही रंगों से भरपूर रहते हैं। ये तो दूसरों के लिए आदर्श हैं कैसे जीवन को जिया जाए।