तुम्हारी आख़िरी मंज़िल है आसमानों में। अभी तो राह में सारा जहान आयेगा।।

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ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

शकूर अनवर

ग़ज़ल में ज़ुल्मो सितम का बयान आयेगा।
गिरफ़्त ए शेर* में जब आसमान आयेगा।।
*
कभी तो दिल के चमन में बहार आयेगी।
कभी किसी को हमारा भी ध्यान आयेगा।।
*
परिंदा सुबह को निकला था आशियाने* से।
वो साथ ले के सफ़र की थकान आयेगा।।
*
तुम्हारी आख़िरी मंज़िल है आसमानों में।
अभी तो राह में सारा जहान आयेगा।।
*
ये दिल की राह गुज़र* है ज़रा सॅंभल के चलो।
ज़रा सी चोट लगी तो निशान आयेगा।।

ये बज़्मे शेरो अदब* मुन्तज़िर उसी की है।
जो साथ ले के यहाॅं पर ज़ुबान* आयेगा।।
*
बड़े सुकून से रहना तू क़ब्र में “अनवर”।
बग़ैर लाटरी बस ये मकान आयेगा।।
*
गिरफ़्त ए शेर* कविता की पकड़ में
आशियाना* घोंसला
राह गुज़र* रास्ता
बज़्मे शेरो अदब* काव्य की महफ़िल,सभा
ज़ुबान* भाषा

शकूर अनवर

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