
ग़ज़ल
-शकूर अनवर-

जान से हाथ भी धोने नहीं देता कोई।
सुर्ख़रु* इश्क़ में होने नहीं देता कोई।।
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दिल में क्या चाॅंद सितारों की तमन्ना रखते।
हमको मिट्टी के खिलौने नहीं देता कोई।।
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हब्स* ऐसा है कि बस दम ही घुटा जाये मेरा।
फिर खुली छत पे भी सोने नहीं देता कोई।।
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बेख़बर हो के मैं सहरा* में भटक भी न सकूँ।
क्यूँ मेरे होश भी खोने नहीं देता कोई।।
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कोई एजाज़* ही अब हमको मिलादे लेकिन।
ये करिश्मा भी तो होने नहीं देता कोई।।
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ख़ून बोऍंगे तो फिर लाश उगेगी “अनवर”।
प्यार की फ़स्ल तो बोन नहीं देता कोई।।
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शब्दार्थ:-
सुर्ख़रु*कामयाब सफल
हब्स*घुटन
सहरा*रेगिस्तान
एजाज़*करिश्मा चमत्कार
शकूर अनवर
9460851271