
-प्रकाश केवडे-

बस यूँ ही
हवा का झोंका
उडा ले गया
पल्लू सिर से
बालों को बिखरा गया
मुझे भा गया
बस यूँ ही
बहती हवाएं
इत्र की खुश्बू चुरा
कर तुम तक पहुंचाती हैं
तुम आखें बन्द कर
खो जाती उनमें
अदा ये भाती हमें
बस यूँ ही
दरवाजे खोलने
के लिए तुम्हारे
कदमों की आहट
पायल के घुंघरू
गम भुला देते
मेरे सारे
बस यूँ ही।
रचियता प्रकाश केवडे
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