
-मनु वाशिष्ठ-

पेरेंटिंग__ बीज और बच्चे
बीज और बच्चे
होते हैं एक जैसे
जिनमें छुपी हैं
अनंत संभावनाएं
सब जानते हैं
फिर भी
मातापिता कहां मानते हैं?
बेटियों को रोपते का
धान की तरह
और बेटों को भी
जो बन सकता था
विशाल वट वृक्ष
बोनसाई बना कर छोड़ते हैं
बच्चे कोई बीज नहीं हैं
मत करिए!
उन पर अपनी चाहतों के प्रयोग
मत लादिए उन पर अपनी
ख्वाहिशों के बोझ
सह नहीं पाएंगे
और आपके अकुशल
तरीकों से
ये नन्हे फूल (बच्चे)
पेड़ बनने से पहले ही मुरझा जाएंगे…
__ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान
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