
-देवेन्द्र यादव-

इसी अगस्त महीने में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं की अचानक से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर हुई बैठक के बाद राजनीतिक गलियारो मैं सवाल उठने लगे की क्या राजनाथ सिंह की भूमिका बदलने वाली है। क्या राजनाथ सिंह मोदी के संकट मोचक बनेंगे या फिर उत्तराधिकारी।
देश के हिंदी प्रदेशों से भाजपा के नेतृत्व को लेकर उठ रहे सवालों और 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी। पार्टी केवल 240 सीटों पर सिमट कर रह गई। उसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में तेजी से संघ की नाराजगी के समाचार तैरने लगे और गत दिनों राजनाथ सिंह के घर हुई बैठक से लगा कि संघ की नाराजगी अब किनारे पर है। राजनाथ सिंह के घर पर हुई बैठक से सूत्रों से खबर निकल कर आई की संघ अपनी पसंद का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाना चाहता है, मगर सवाल यह है कि संघ अपनी पसंद का केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष की बनवाना चाहता है या फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाने के बाद उसकी आगे की मंशा क्या है। क्या राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्राह्मण होगा और मोदी का उत्तराधिकारी राजपूत होगा। यह सवाल इसलिए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की असल राजनीतिक ताकत राजपूत नेताओं के दम पर है, और देश के हिंदी राज्यों में भाजपा के बड़े राजपूत नेता अपने आप को कुंठित महसूस कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, छत्तीसगढ़ से रमन सिंह, राजस्थान से श्रीमती वसुंधरा राजे, हिमाचल प्रदेश से प्रेम सिंह धुमल जैसे बड़े राजपूत नेता हैं जो भारतीय जनता पार्टी की अपने-अपने राज्यों में बड़ी ताकत थे। लेकिन राजस्थान मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के तीनों बड़े नेता हाशिये पर दिखाई दे रहे हैं। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे की नाराजगी अभी भी जस की तस् बनी हुई है। उन्हें अपने भाषणों में कटाक्ष करते हुए देखा जा सकता है ?
अब सवाल उठता है कि क्या राजनाथ सिंह मोदी के संकट मोचके बनेंगे। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह को मार्गदर्शक मंडल में पहुंचा दिया था मगर राजनाथ सिंह को मोदी ने पहले देश का गृहमंत्री और बाद में रक्षा मंत्री बनाया। राजनाथ सिंह को मार्गदर्शक मंडल में नहीं पहुंचा क्या नरेंद्र मोदी जानते थे कि राजनाथ सिंह उनके लिए संकट मोचक की भूमिका निभा सकते हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में जब राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी जीती थी तब मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर बड़ा विवाद था। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए श्रीमती वसुंधरा राजे सबसे बड़ी दावेदार थी मगर भाजपा हाई कमान में राजनाथ सिंह को एक गुप्त नाम की पर्ची लेकर भाजपा विधायक दल की बैठक में भेजा। भाजपा ने राजस्थान में मुख्यमंत्री किसको बनाएं इसका फैसला पर्ची से किया। राजनाथ सिंह राजस्थान भाजपा की राजनीति में चल रहे कुर्सी के घमासान में मोदी के संकट मोचक बने।
राजनाथ सिंह 18 वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र में भी, मोदी के संकट मोचक बनते हुए नजर आए। जब विपक्ष संसद के भीतर मोदी सरकार पर राजनीतिक हमले कर रहा था तब उनका जवाब प्रधानमंत्री की जगह राजनाथ सिंह देते हुए नजर आए।
अटल बिहारी वाजपेई के बाद आज की राजनीति में राजनाथ सिंह भाजपा की ओर से देश मैं सर्वमान्य नेता भी हैं, जिनके संबंध इंडिया गठबंधन के नेताओं से भी हैं और भाजपा सरकार को समर्थन दे रहे नेताओं से भी हैं। संघ से राजनाथ सिंह के संबंधों को गत दिनों उनके घर पर हुई बैठक के दिन देख ही लिया है !
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)