
मेरा सपना… 13
-शैलेश पाण्डेय-
यदि आपको पूरे यूरोप के स्मारकों, महलों तथा अन्य प्रसिद्ध इमारतों को कुछ ही घंटों में देखने का अनुभव करना है तो ब्रुसेल्स के मिनियेचर वर्ल्ड से अच्छा कोई स्थान नहीं हो सकता। इस पार्क में यूरोप के 80 शहरों की लगभग 350 प्रतिकृतियों को बखूबी संजोया गया है। यदि आप यूरोप घूम चुके हैं तो भी यह पार्क आपको बीती यादों के पुर्नस्मरण के लिए शानदार जगह है। बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स के ऐतिहासिक ग्रैण्ड प्लेस की यादों को संजोए हम लगभग आधे घंटे के बस के सफर से शहर के बाहरी इलाके में स्थित एटीमियम पहुंचे जहां मिनी यूरोप पार्क अवस्थित है।
आसमान में बादल छाने से मौसम खुशगवार हो गया था और करीब आधा किलोमीटर पैदल चलकर हमने मुख्य गेट से जब मिनियेचर पार्क में प्रवेश किया तब यह उम्मीद नहीं की थी कि पूरे यूरोप का भ्रमण केवल दो से तीन घंटे में कर लेंगे।
पार्क में जो कुछ देखा उसमें एफिल टॉवर समेत कई स्मारक तो हम अब तक सदृश्य देख चुके थे लेकिन पीसा की मीनार समेत कई ऐसे स्मारक थे जो हमें अभी देखने थे। इसके अलावा कई स्मारकों के चित्र देख चुके और पढ़ चुके थे। इसलिए उनके बारे में जानकारी थी।

पार्क में मिनी बोट, जहाज, विंड मिल को खूबसूरती से संजोया गया था। यह पार्क बच्चों के मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्द्धन के दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी लगा। इस पार्क की खासियत यह थी कि इसमें वही स्मारक शामिल किए गए हैं जो यूरोप का प्रतीक हैं। कई स्मारकों में तो कड़ी मेहनत की गई है। यहां तक कि ग्रैंड प्लेस की कई मूर्तियों में सोने की पन्नियों का इस्तेमाल किया गया बताया।
पार्क में पूरे समय संगीत और उनके साथ मिनियेचर में लगे फव्वारे मनमोहक थे। कई स्मारकों में बटन लगे हैं जिनसे आप खिलौनों को हरकत करा सकते हैं। पार्क में एक जगह योद्धा की पोशाक को इस तरह लगा रखा था जिसमें पीछे से आप खड़े हो जाइए और फोटो लें तो लगेगा कि यह योद्धा आप ही हैं भले ही आप डेढ़ हड्डी के हों।

हर स्मारक के साथ उसकी संक्षिप्त जानकारी थी जिससे आप अंदाज लगा सकते थे कि इसका क्या महत्व है। अभी हम पार्क का 60 फीसदी सफर ही पूरा कर सके थे कि बूंदा बांदी शुरू हो गई। जब तक बकिंघम पैलेस के करीब थे और उसकी भव्यता को मन में उतार रहे थे तभी बारिश तेज हो गई। हमने एक शेड के नीचे शरण ली। तेज बारिश की वजह से और पर्यटक भी वहां पहुंच गए तो जगह कम पड़ गई। तेज हवा की वजह से सभी भीगने लगे। तो कुछ लोग वहां से रवाना हो गए। जब बारिश कुछ कम हुई तो मैंने और अजातशत्रु ने जल्दी से शेष मोन्युमेंट देखने का निर्णय किया।

पर्यटकों के साथ कई बच्चे ऐसे थे जो बारिश के बावजूद पार्क को पूरा देखने की जिद कर रहे थे। उनकी ही बड़े लोगों से ज्यादा इसमें रूचि थी। हालांकि हम बारिश में भीग गए थे लेकिन चिंता नहीं थी क्योंकि हम अपने साथ के हैण्डबेग में एक जोड़ी कपड़े और शूज जरूर रखते थे ताकि ऐसी किसी भी स्थिति में चेंज कर सकें क्योंकि यूरोप का मौसम हम भारतीयों के अनुकूल नहीं है। यदि आप बीमार पड़ गए तो सारे टूर पर पानी फिर सकता है।
बाहर निकलने लगे तो हम जिस जगह बस पार्क थी वहां का रास्ता भटक गए। जबकि टूर मैनेजर राहुल जाधव ने प्रवेश के समय ही समझा दिया था कि कहां से आना है। यह एक लम्बा गलियारा की तरह था जो कुछ दूर से समझ नहीं आता था। वहीं हमारे एक अन्य साथी कपल भी इसी असमंजस में मिला कि किस तरफ जाना है। खैर हमने मिलकर तय किया और सही राह पर आगे बढ़ कर बस तक पहुंचे। जो भी इस पार्क में गए थे अधिकांश बारिश में भीग चुके थे। लेकिन अब हमें नीदरलैण्ड निकलना था इसलिए देरी करना उचित नहीं था। एक बार फिर बस का सफर शुरू हुआ और हम रात को एमस्टरडम पहुंच गए जहां भारतीय रेस्त्रां में डिनर करने के बाद होटल में पहुंचे। हमे रात्रि विश्राम कर अगली सुबह यूरोप के सबसे खूबसूरत शहरों में शुमार एमस्टरडम की सैर करनी थी।