-विष्णुदेव मंडल-

(स्वतंत्र पत्रकार तमिलनाडु)
चेन्नई। तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के बीच जुबानी विवाद लंबे समय से जारी है। जहां तमिलनाडु सरकार तमिलनाडु में द्रविड़ मॉडल को लेकर एग्रेसिव है वहीं तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि सनातन धर्म और संस्कृति और एक भारत श्रेष्ठ भारत के उपदेश दे रहे हैं। दोनों के बीच विवार्द की मुख्य वजह यही है।
तमिलनाडु सरकार द्वारा 9 जनवरी को राज्यपाल को विधानसभा के सदन में पढ़ने के लिए अभिभाषण के दिए मसौदा के कुछ अंश को नहीं पढ़े जाने का विवाद अब तमिलनाडु की राजनीति, विधानसभा और जिले गाँव देहात होते हुए राष्ट्रपति भवन पहुंचने वाला है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन सरकार द्वारा तैयार अभिभाषण से प्रमुख अंश को नहीं पढ़ने की शिकायत राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के समक्ष पेश करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन तमिलनाडु के कानून मंत्री एस रघुपति के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को एक बंद लिफाफा सौपेंगे। जिनमें राज्यपाल आरएन रवी के खिलाफ शिकायत सूचीबद्ध प्रस्तुत की जाएगी। जिनमें राज्यपाल के पिछले कुछ सालों में सरकार के खिलाफ उनके असंवैधानिक तरीके को दर्शाया गया है।
खबर है कि तमिलनाडु सरकार के प्रतिनिधि को मिलने के लिए 11.45 का समय निर्धारित किया है, जिनके तहत डीएमके सरकार के प्रतिनिधिमंडल में एस रघुपति, सांसद टी आर बालू,पी विल्सन, ए राजा और एन आर इलंगौवन शमिल हैं। प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलकर एक सीलबंद लिफाफा सौंपेंगे। मिली जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में राजभवन के पटल पर सरकार द्वारा लाए गए मसौदे पर हस्ताक्षर नहीं करने से लेकर राज्यपाल द्वारा समय-समय पर किसी खास धर्म के प्रचारक के रूप में प्रस्तुत करने का आरोप लगाया गया है।
यहां उल्लेखनीय है कि विगत नवंबर में भी तमिलनाडु के सभी सांसदों राजपाल आर एन रवि के खिलाफ उनके आचरण को लेकर शिकायत दर्ज करा चुके हैं। अब देखना यह है कि राष्ट्रपति इस ज्ञापन के खिलाफ क्या एक्शन लेंगी।
बहरहाल तमिलनाडु में डीएमके सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद जारी है।