
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस हाई कमान ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हरियाणा विधानसभा चुनाव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी इस विश्वास पर दी है कि उक्त प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सकती है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव अशोक गहलोत के लिए बड़ी चुनौती है। पहली चुनौती हरियाणा विधानसभा चुनाव जीत कर कांग्रेस की सत्ता में वापसी करवाना है। दूसरी सबसे बड़ी चुनौती हरियाणा में किस नेता के हाथ में प्रदेश सरकार की समान दी जाएगी, क्योंकि हरियाणा विधानसभा के चुनाव घोषित होने से पहले और घोषणा होने के बाद हरियाणा कांग्रेस में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर नेताओं के बीच बड़ा विवाद देखा गया। जब हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन चल रहा था तब हरियाणा कांग्रेस के नेताओं में टिकट के बटवारे को लेकर विवाद अधिक दिखाई दिया।
मुख्यमंत्री की कुर्सी के तीन प्रमुख दावेदार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला। यह तीनों ही नेता राजनीति के जादूगर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खास हैं। इन तीनों ही नेताओं ने समय-समय पर राजनीतिक रूप से अशोक गहलोत का साथ दिया है। वर्ष 2018 के राजस्थान विधानसभा के चुनाव में कुमारी शैलजा राजस्थान स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्ष थीं तब राजस्थान में सचिन पायलट राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। वर्ष 2018 में कांग्रेस ने राजस्थान की सत्ता में वापसी की मगर मुख्यमंत्री सचिन पायलट की जगह अशोक गहलोत को बनाया गया।
राजस्थान मे कांग्रेस ने सत्ता में वापसी तो की मगर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद बढ़ता गया। सचिन पायलट की नाराजगी इस कदर बढी की भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में ऑपरेशन लोटस करने पर उतर आई। तब हाई कमान ने इस विवाद को सुलझाने के लिए हरियाणा के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को राजस्थान भेजा। सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मदद की। सचिन पायलट को अपना अध्यक्ष पद और उपमुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। यही नहीं सचिन पायलट के समर्थक अग्रिम संगठनों के अध्यक्षों को भी बदला गया।
अब अशोक गहलोत के सामने चुनौती यह है कि हरियाणा के किस नेता की मुख्यमंत्री के पद पर ताजपोशी करने में मदद करेंगे क्योंकि हरियाणा के तीनों ही नेताओं के अशोक गहलोत पर राजनीतिक उपकार हैं।
इस चुनौती के अलावा एक बड़ी चुनौती अशोक गहलोत के सामने राहुल गांधी हैं। राहुल गांधी चाहते हैं कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बने तो मुख्यमंत्री सर्वमान्य नेता हो। राहुल गांधी हरियाणा में टिकट बंटवारे को लेकर खुश नहीं है, क्योंकि हरियाणा में कांग्रेस के टिकट बंटवारे के रणनीतिकारों ने एक नेता के समर्थको को अधिक टिकट दे दिए, जबकि राहुल गांधी अमेरिका जाने से पहले हरियाणा के नेता और हरियाणा कांग्रेस की राष्ट्रीय चुनाव समिति को बोलकर गए थे कि टिकटों का बंटवारा निष्पक्ष और जीतने वाले प्रत्याशियों का हो। मगर राहुल गांधी के निर्देश के बावजूद हरियाणा में टिकटों का बंटवारा ठीक से नहीं हुआ और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लोगों को अधिक टिकट मिले।
राहुल गांधी अमेरिका जाने से पहले बोल कर गए थे कि हरियाणा में हर हाल में कांग्रेस आम आदमी पार्टी से चुनावी गठबंधन करें मगर हरियाणा में वह भी नहीं हुआ।
कुल मिलाकर राजनीति के चाणक्य अशोक गहलोत हरियाणा चुनाव में अपनी क्या जादूगरी दिखाएंगे जिससे कांग्रेस हरियाणा की सत्ता में वापसी कर सके और सर्वमान्य नेता को राज्य का मुख्यमंत्री बनवा सके।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)