राजनीतिः तमिल-काशी संगमम का जवाब तमिलनाडु में हिन्दी विरोध से

तमिलनाडु में महज चार विधायक वाली पार्टी भाजपा ने पिछले कुछ सालों में प्रबल विपक्षी पार्टी के रूप में विधानसभा के बाहर और भीतर दोनों जगह सत्ताधारी पार्टी को घेरने की हर संभव कोशिश की है। हिंदी विरोध के नाम पर आगामी चुनाव की पृष्ठभूमि तैयार करते डीएमके के सामने तमिल काशी संगमम - आयोजन के मार्फत भाजपा हिंदू वोट को पोलराइजेशन की फिराक में है जबकि तमिल भावना,,तमिल संस्कृति और द्रमुक कैडर को अपने पक्ष में करने के लिए सत्ताधारी दल पुरजोर कोशिश कर रहा है

-विष्णु देव मंडल-

विष्णु देव मंडल

(तमिलनाडु के स्वतंत्र पत्रकार)

चेन्नई। एक तरफ केंद्र सरकार 2024 के आम चुनाव से पहले तमिलनाडु में अपनी जड़ जमाने के प्रयास को आगे बढ़ाते हुए तमिल-काशी संगमम का आयोजन वाराणसी में कर रही है, दूसरी तरफ तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी तमिल-काशी संगमम की जगह इंपोज हिंदी के विरोध को ताजा रखने के लिए घर-घर यह संदेश देना चाहती है कि भारत सरकार तमिलनाडु में जबरन हिंदी थोपना चाहती है। इसे मरते दम तक स्वीकार नहीं किया जाएगा।
राजनीतिक रोटी को गरम रखने के लिए डीएमके ने हिंदी के विरोध की लौ को तेज कर दिया है। परिणामस्वरूप तमिलनाडु में राजनीति से प्रेरित लोग हिंदी विरोध के नाम पर आत्मदाह करना शुरू कर दिए हैं। बीते शनिवार को सेलम जिले में एक डीएमके कार्यकर्ता एम.बी थंगवेल (85) ने डीएमके कार्यालय के सामने केंद्र सरकार द्वारा तमिलनाडु में हिंदी थोपने की विरुद्ध पत्र लिखकर अपने ऊपर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली। उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई। सुसाइड नोट में उन्होंने ने यह उल्लेख किया है कि हम मरते दम तक तमिलनाडु में हिंदी नहीं चलने देंगे। मृतक तंगवेल ने यह पत्र मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के नाम लिखा था कि हम अपनी नयी पीढ़ी के भविष्य के लिए हिंदी को तमिलनाडु में थोपने नहीं देंगे। हिंदी हमारी रोजी और रोजगार छीन लेगा।

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एमके स्टालिन एवं उदयनिधि। फोटो साभार ट्विटर

हालांकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने इस घटना पर शोक व्यक्त करते हुए कार्यकर्ताओं से अपील की कि कोई भी इस तरह की घटना को अंजाम नहीं दे। हिंदी का विरोध करना हमारा मौलिक अधिकार है लेकिन आत्मदाह करना किसी भी तरीके से जायज नहीं है, इसलिए कार्यकर्ताओं को इस तरह अपनी जान गंवाना अनुचित है।
राजनीतिक पंडितों का मानना है की तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता और कैडर के साथ-साथ केंद्र सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं में तमिलनाडु में बढ़ रही भागीदारी के कारण सत्ताधारी डीएमके को यह डर सताने लगा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में भी भाजपा बेहतर कर सकती है।
तमिलनाडु में महज चार विधायक वाली पार्टी भाजपा ने पिछले कुछ सालों में प्रबल विपक्षी पार्टी के रूप में विधानसभा के बाहर और भीतर दोनों जगह सत्ताधारी पार्टी को घेरने की हर संभव कोशिश की है। हिंदी विरोध के नाम पर आगामी चुनाव की पृष्ठभूमि तैयार करते डीएमके के सामने तमिल काशी संगमम – आयोजन के मार्फत भाजपा हिंदू वोट को पोलराइजेशन की फिराक में है जबकि तमिल भावना,,तमिल संस्कृति और द्रमुक कैडर को अपने पक्ष में करने के लिए सत्ताधारी दल पुरजोर कोशिश कर रहा हैं। भाजपा के तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष अन्नामलाई ने पिछले दिनों एक बयान जारी कर कहा था कि आगामी लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी 26 सीट जीतने का माद्दा रखती है। ऐसे में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन अपने घर को बनाए रखने के लिए इंपोज हिंदी जैसे मुद्दा को धार देने का पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं।

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तमिलनाडु में हिन्दी विरोध का फाइल फोटो

डीएमके युवा विंग के सचिव स्टालिन उदयनिधि भी आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हर जिले,प्रखंड मुख्यालय, तहसील व गांवों के दौरा कर रहे हैं और आमजन को केंद्र सरकार के खिलाफ इंपोज हिंदी के नाम पर समर्थन मांग रहे हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज तक खेत से लेकर खलिहान तक हिंदी के विरोध जारी है।
बहरहाल आज डीएमके के उत्तराधिकारी मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के सुपुत्र उदय निधि स्टालिन का आज जन्मदिन है। इस अवसर पर पूरे राज्य में जश्न का माहौल है।अखबारों में उदय निधि स्टालिन के कार्यों का बखान पुरजोर किया गया है। शहर की दीवारों पर बैनर और पोस्टरों की भरमार है। अब देखना यह है कि उदय निधि स्टालिन आज अपने जन्मदिन के अवसर पर इंपोज हिंदी के विरोध में कुछ बोलते हैं या नहीं।

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उदयनिधि का तमिलनाडु में हिन्दी विरोध का फाइल फोटो

यहां उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु में हिंदी विरोध के नाम पर ही पूर्व मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि ने राजनीति की शुरुआत की थी। आज उनके पौत्र उदयनिधि स्टालिन भी हिंदी विरोध के नाम पर तमिलनाडु में जन समर्थन मांग रहे हैं। या यूं कहें 2024 की तैयारी के लिए डीएमके तमिलनाडु में हिंदी विरोध का बिगुल फूंक चुकी है। गौरतलब है कि 2019 के आम चुनाव में उदयन निधि स्टालिन ने जमकर पसीना बहाया था और तमिलनाडु पुदुचेरी के 40 सीटों में से 39 सीट जीतकर द्रमुक राजनीति को शिखर पर पहुंचाया था।

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