वो तुम ही तो हो मां…

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photo courtesy pixabay.com

-मनु वाशिष्ठ-

manu vashishth
मनु वशिष्ठ

वो रचियता, तुम ही तो हो, मां !
मेरे आगमन की सूचना को,प्रथम जिसने बतलाया,
मेरी हरकतों को, अहसास कर जिसने बतलाया,
वो तुम ही तो हो मां, हां मां तुम ही तो हो!
मेरी पहली चीख पर,जिसने मुस्कुरा गले लगाया,
मेरी हर चोटदर्द पर, मलहम पट्टी कर सहलाया,
टेढ़ी मेढ़ी राहों पर,ता ता थैया चलना सिखलाया,
वो तुम ही तो हो मां, हां मां तुम ही तो हो!
रंग बिरंगे चित्रों में,ना जाने कितना रंग बिखराया,
अ आ इ ई की लकीरों से पन्नों में क्या ख्वाब सजाया,
लिखती तो खूब हूं पर,पकड़ हाथ लिखना सिखलाया,
वो तुम ही तो हो मां, हां मां तुम ही तो हो!

__ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राज.

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विवेक मिश्र
विवेक मिश्र
2 years ago

बड़ी कविता

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  विवेक मिश्र
2 years ago

???? थोड़ा मिसप्रिंट हो गया है

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  विवेक मिश्र
2 years ago

कुछ शब्द मिसप्रिंट हो गए हैं

Neelam
Neelam
2 years ago

भावुक पोस्ट।जीवन पर्यंत मां यही तो करती है।

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  Neelam
2 years ago

????????????

Meena Gaur
Meena Gaur
2 years ago

बहुत ही शानदार और लाजवाब लिखती हो ????????????

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  Meena Gaur
2 years ago

????????????