
-देवेंद्र यादव-

भाजपा के 2024 के लोकसभा चुनाव में अल्पमत में आते ही बैसाखियों के सहारे केंद्र में तीसरी बार अपनी सरकार बनाई। इससे पहले के दो लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली भाजपा सरकार के तीसरे कार्यकाल में अल्पमत में आने और बैसाखी से सरकार बनाने से कांग्रेस उत्साहित नजर आ रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी को लगने लगा है कि यदि ईमानदारी से विपक्ष और अधिक मेहनत करे तो वह भाजपा को सत्ता से बाहर भी कर सकता है। यही वजह है कि राहुल और खड़गे की जोड़ी अब मिशन भाजपा हटाओ के अभियान में मुस्तेदी के साथ जुड़ती हुई दिखाई दे रही है। राहुल और खड़गे की नजर देश में होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव पर है। चुनाव आयोग ने हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव की घोषणा कर दी है वहीं महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव की घोषणा होनी बाकी है।
हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी से काफी बेहतर नजर आ रही है। हरियाणा में कांग्रेस सरकार में वापसी कर सकती है। वहीं जम्मू और कश्मीर में एक दशक बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का गठबंधन सत्ता में वापसी कर सकता है। 22 अगस्त को राहुल और खड़गे की जोड़ी जैसे ही कश्मीर पहुंची तो इस जोड़ी का कश्मीर की आवाम ने जबरदस्त स्वागत किया। देश का मुकुट कहे जाने वाले कश्मीर की जनता ने प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी का ऐसे स्वागत किया जैसे कश्मीर की जनता राहुल गांधी के सिर पर अभी से केंद्र की सत्ता का ताज पहना रही हो।
कश्मीर पहुंचकर राहुल और खड़गे की जोड़ी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक ली। राहुल और खड़गे के द्वारा कार्यकर्ताओं की बैठक देश की राजनीति के मायने से महत्वपूर्ण थी। महत्वपूर्ण इसलिए क्योंकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की इस छोटी सी बैठक में भारतीय राजनीति को राहुल और खड़गे ने कांग्रेस की भविष्य की राजनीतिक रणनीति का खुलासा किया।
राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हम विधानसभा चुनाव में कश्मीर में गठबंधन कर सरकार बनाएंगे। कांग्रेस कश्मीर में गठबंधन करेगी मगर गठबंधन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मान और हितों को देखते हुए करेगी।
बड़ी बात यह है कि कांग्रेस के दो प्रमुख और बड़े नेता अपने कार्यकर्ता और गठबंधन के नेताओं के दरवाजे पर जाकर भाजपा को सत्ता से बाहर करने की रणनीति बना रहे हैं जबकि राजनीतिक पार्टियां अक्सर दिल्ली में फाइव स्टार होटल में बैठकर चुनावी तालमेल करते हैं और इसकी भनक आम कार्यकर्ताओं को नहीं लगती है। राहुल गांधी ने कश्मीर के भीतर जाकर पहले अपने आम कार्यकर्ताओं से बात की और उसके बाद वह कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं से मिले और चुनावी गठबंधन पर बात की।
कश्मीर से एक सवाल और उठा की क्या राहुल गांधी इसी तरह की रणनीति अपनाकर कार्यकर्ताओं और गठबंधन के नेताओं के दरवाजे पर जाकर भाजपा को केंद्र की सत्ता से बाहर करने का मन बना चुके हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बाद से ही राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर राजनीतिक हमले करते हुए बता रहे हैं कि भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता के घमंड और अहंकार के कारण पूर्ण बहुमत नहीं मिला जनता ने भाजपा के अहंकार और घमंड को तोड़ा।
क्या राहुल गांधी कार्यकर्ताओं और विपक्ष के नेताओं के दरवाजे पर जाकर अपनी उदारता और मोहब्बत को दिखाकर कांग्रेस कार्यकर्ता और इंडिया गठबंधन के नेताओं को एकजुट करने में लग गए हैं।
अक्सर कांग्रेस चुनावी गठबंधन के लिए दिल्ली से अपने नेताओं को पर्यवेक्षक के रूप में विपक्षी दलों के नेताओं से संवाद और बात करने के लिए भेजा करती थी मगर यह पहला अवसर है जब स्वयं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी विपक्ष के नेताओं से चुनावी गठबंधन करने के लिए उनके घर पहुंचे।
राहुल और खड़गे की जोड़ी कि यह नई राजनीतिक रणनीति भारतीय जनता पार्टी के लिए राजनीतिक खतरे की घंटी हो सकती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)