सचिन पायलट जन्मदिवस पर पता चलेगा राजस्थान का बड़ा नेता कौन !

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सचिन पायलट.फोटो सोशल मीडिया

-देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

राजस्थान में भजनलाल शर्मा की भाजपा सरकार को बने अभी 1 वर्ष भी पूरा नहीं हुआ है। अभी विधानसभा चुनाव होने में 4 साल का वक्त बाकी है, मगर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं में राजस्थान का सबसे मजबूत नेता कौन, इसकी होड़ मची हुई है। खास बात यह है कि राजस्थान का बड़ा और मजबूत नेता कौन इसकी होड़ उन नेताओं के बीच में है जो अपनी अपनी पार्टीयों के हाई कमान की राजनीतिक मजबूरी और राजनीतिक दबाव के कारण मुख्यमंत्री नहीं बन पाए।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के भीतर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर उठा विवाद अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा के भीतर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तो कांग्रेस के भीतर कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री सचिन पायलट अपनी राजनीतिक ताकत को प्रदेश में लगातार प्रदर्शित करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
राज्य की दो बार मुख्यमंत्री रही श्रीमती वसुंधरा राजे 2023 में भाजपा की राज्य में सरकार बनने के बाद तीसरी बार मुख्यमंत्री नहीं बन पाई, इसका दर्द उनके समर्थकों और वसु मैडम में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जब वह भाजपा के कार्यक्रमों में अपनी ही पार्टी के नेताओं पर व्यंग कसकर मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने की कुंठा का इजहार करती हैं।
संघर्ष ही जीवन है, शायद इसे ठीक से कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने समझा है। सचिन पायलट प्रदेश की आम जनता, कार्यकर्ताओं कांग्रेस और अपने लिए राजनीतिक संघर्ष करते हुए नजर आ रहे हैं।
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता मे लाने के लिए कांग्रेस हाई कमान ने सचिन पायलट को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था। अध्यक्ष पद पर रहते कांग्रेस को राज्य में सत्ता में लाने के लिए पायलट ने पूरा संघर्ष किया और उनके संघर्ष के कारण 2018 में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में बहुमत प्राप्त किया और अपनी सरकार बनाई। मगर हाई कमान चाह कर भी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनवा पाया। पार्टी हाई कमान ने राजनीतिक दबाव में अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया। इसका मलाल सचिन पायलट के समर्थकों और कार्यकर्ताओं के दिलों में आज भी जस् का तस बना हुआ है। पार्टी हाई कमान ने सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने के लिए अनेक बार प्रयास भी किए मगर अशोक गहलोत ने हाई कमान के सारे प्रयास विफल कर दिए। एक समय तो ऐसा भी आया जब हाई कमान अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष और सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने के लिए राजी हुआ मगर हाई कमान के इस प्रस्ताव को अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चिपके रहने के लिए ठुकरा दिया। नतीजा यह हुआ राजस्थान में 2023 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। यदि उस समय सचिन पायलट राज्य के मुख्यमंत्री होते तो भारतीय जनता पार्टी के लिए राज्य की सत्ता में वापसी मुश्किल हो जाती।
सचिन पायलट ने अपना राजनीतिक धैर्य और कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनता से अपना लगाव नहीं छोड़ा और वह जनता और कार्यकर्ताओं के निरंतर संपर्क में रहे। अब स्थिति यह है कि जब सचिन पायलट राजस्थान के जिस भी हल्के में निकलते हैं जनसैलाब उनके स्वागत और सत्कार के लिए उमड पड़ता है। सचिन पायलट राजस्थान के कितने लोकप्रिय नेता हैं इसकी झलक 7 सितंबर को उनके 47 वे जन्मदिन पर देखने को मिलेगी, जब पूरे प्रदेश भर में प्रदेश की जनता और कांग्रेस का आम कार्य करता पायलट का जन्मदिन धूमधाम से मनाते हुए नजर आएगा।
राजस्थान अल्पसंख्यक कांग्रेस के अध्यक्ष आबिद कागजी ने बताया कि प्रदेश भर में सचिन पायलट का जन्मदिन गौ सेवा संकल्प दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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