अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी छलांगः रचा इतिहास

निजी क्षेत्र में विकसित राकेट का सफल प्रक्षेपण

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फोटो साभार इसरो ट्विटर

-द ओपिनियन-

नई दिल्ली। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में शुक्रवार को एक नया आयाम जुड़ गया। देश ने इस क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की पहल से यह संभव हो सका। देश में निजी क्षेत्र में विकसित पहले रॉकेट विक्रम एस का शुक्रवार को श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण किया गया। यह रॉकेट अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पस ने विकसित किया है। जिसे इसरो ने लॉन्च किया। इस रॉकेट ने सुबह 11ः30 बजे उड़ान भरी। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में यह एक नया मुकाम है। निजी क्षेत्र में रॉकेट का विकास और फिर उसका सफल प्रक्षेपण निजी व सरकारी एजेंसियों के बीच तालमेल, समन्वय व आपसी सहयोग के साथ आगे बढ़नेे का एक बड़ा उदाहरण है। यह अंतरिक्ष क्षे़त्र के उपयोग की संभावनाओं के बड़ेे द्वार खोल देगी। केंद्र सरकार ने 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र के द्वार निजी क्षेत्र के लिए खोले थे। इससे पहले अंतरिक्ष संबंधी सारी गतविधियां इसरो के पास थे। ऐसे में इतने कम समय में किसी निजी क्षेत्र की कंपनी द्वारा रॉकेट विकसित करना और फिर उसका प्रक्षेपण कर देना चुनौतीपूर्ण कार्य ही कहा जाएगा। पहले इस रॉकेट को 15 नवंबर को लॉन्च किया जाना था, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे आज प्रक्षेपित किया गया।
इस रॉकेट का नाम देश के देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर किया गया है। डॉ साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक भी कहा जाता है। रॉकेट विक्रम एस तनी पेलोड लेकर अंतरिक्ष में गया है। इसमें से दो स्वदेशी हैं और एक आर्मेनिया का है। नई शुरुआत के रूप में पहचान के लिए इस मिशन को प्रारंभ नाम दिया गया है। लान्च के बाद रॉकेट ने ध्वनि की रफ्तार से पांच गुणा तेजी से उड़ान भरी और 292 सेकण्ड के मिशन को तय समय में पूरा किया। छह मीटर उंचायह रॉकेट दुनिया का पहला ऑल कंपोजिट रॉकेट है। इसमें थ्री प्रिंटेड सोलिड थ्रस्टर्स लगाए गए हैं। ताकि उसकी स्पिन केपेसिटी को संभाला जा सके।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह कहते हैं कि यह भारत के स्पेस इकोसिस्टम को विकसित करने के लिए एक बड़ा कदम है। यह भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि अंतरिक्ष तकनीक और नवोन्मेष के क्षेत्र में इसरो के साथ काम करने के लिए100 स्टार्ट-अप समझौता कर चुके हैं। 100 में से करीब 10 ऐसी कंपनियां हैं, जो सैटेलाइट और रॉकेट विकसित करने में जुटी हैं।

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