
रावलपिंडी। पाकिस्तान के नवनियुक्त सेनाध्यक्ष (सीओएएस), लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर के लिए फिलहाल आंतरिक चुनौतियों से निपटना आसान काम नहीं होगा क्योंकि पाकिस्तान इस समय गंभीर राजनीतिक उथल पुथल के साथ आर्थिक मोर्चे पर भी संकट की स्थिति से गुजर रहा है। ऐसे में नवनियुक्त सेनाध्यक्ष मुनीर के लिए आंतरिक मसलों से निपटना प्रमुख चुनौती होगी। पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर को निवर्तमान सेना प्रमुख जनरल बाजवा के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया। जबकि बाजवा लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे। बताया जाता है कि मुनीर के बाजवा से ताल्लुकात सौहार्दपूर्ण नहीं रहे। उल्लेखनीय है मुनीर आर्मी इंटेलीजेंस से जुडे रहे हैं। वह आईएसआई के अलावा मिलटी इंटेलीजेंस के महानिदेश रहे लेकिन सत्ता के साथ उनके सम्बंधों को लेकर भी वह विवादों में रहे। आईएसआई के मुखिया के तौर पर उनका कार्यकाल अब तक का सबसे कम समय का रहा है। उन्हें विवाद के कारण ही हटा दिया गया था।
पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के निष्कासन और उन पर यात्रा के दौरान गोली लगने से पाकिस्तान सेना की छवि को धक्का लगा है। पाकिस्तान के आवाम भी सेना को संदेह की नजर से देख रहा है क्योंकि इमरान भले ही प्रधानमंत्री नहीं रहे हों लेकिन उनके समर्थकों की तादाद बहुत ज्यादा है। इमरान भी लगातार पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाए हुए हैं। वह सत्ता में सेना के के हस्तक्षेप पर अंगुली उठाते रहे हैं। पाकिस्तानी सेना के लिए आतंकवाद और आदिवासी क्षेत्रों और बलूचिस्तान में विद्रोह के हालात चिंता का विषय है।
सेना के लिए सबसे बडी चुनौती इस समय इमरान खान हैं। वह इन दिनों आम जन में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए लांग मार्च पर हैं। हर जगह उनके समर्थक जोश में हैं। इमरान के प्रति जन समर्थन सेना के लिए चुनौतीपूर्ण होता जाएगा। वैसे भी उनके इमरान के साथ संबंध अच्छे नहीं हैं। इमरान ने ही मुनीर को आईएसआई के महानिदेशक के पद से हटाया था। ऐसे हालात में मुनीर के सामने सबसे पहले अपनी छवि को चमकाना होगा। उन्हें आवाम में यह संदेश देने की कोशिश करनी होगी कि वह राजनीतिक मामलों में दखलंदाजी देने में विश्वास नहीं करते। उल्लेखनीय है कि मुनीर मिलिट्री इंटेलिजेंस के महानिदेशक भी रहे।