कुटिलता से बाज नहीं आ रहा है चीन, विस्तारवादी साजिश को बढ़ा रहा है आगे

यह कोई पहला अवसर नहीं है जब चीन ने तवांग इलाके में घुसपैठ का प्रयास किया है। पहले भी ऐसे प्रयास कर चुका है। साफ है इस तरह की घटनाएं उसकी दीर्घकालीन साजिश का हिस्सा है। वह किसी न किसी तरह इस इलाके में घुसपैठ कर काबिज होना चाहता है ताकि भारत पर दबाव बढाया जा सके

-द ओपिनियन-

चीन की कुटिलता का चेहरा एक बार फिर दुनिया के सामने आ गया है। उसने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास यांगत्से चोटी पर जिस प्रकार हमला किया वह कोई सामान्य घटना नहीं है उसकी कुटिल चाल का ही एक हिस्सा है। यह चोटी 17000 फीट उंची है, जहां चीनी सैनिकों ने गत 9 दिसंबर को भारतीय सीमा में घुसने का प्रयास किया। मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार चीनी दस्ते में करीब 300 सैनिक थे और उनके पास कंटीली रॉड, डंडे व पत्थर आदि थे। क्या गश्ती दस्ता एक साथ इतना बड़ा होता है? सामान्यतया गश्ती टुकड़ी में 20-30 सैनिक होते हैं। फिर इतनी बडी संख्या में चीनी सैनिक वहां क्या किसी सामान्य गश्त पर थे। उनकी मंसा कोई और थी जिसे सतर्क भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया। यह कोई पहला अवसर नहीं है जब चीन ने तवांग इलाके में घुसपैठ का प्रयास किया है। पहले भी ऐसे प्रयास कर चुका है। साफ है इस तरह की घटनाएं उसकी दीर्घकालीन साजिश का हिस्सा है। वह किसी न किसी तरह इस इलाके में घुसपैठ कर काबिज होना चाहता है ताकि भारत पर दबाव बढाया जा सके। पूर्वी लद्दाख में चीन पहले ही सीमा पर पड़ा हुआ है और दोनों ओर बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं। वह वास्तविक नियंत्रण रेखा के निकट बुनियादी ढांचा मजबूत कर रहा है और सैन्य साजोसामान जमा करता रहा है। सीमा के निकट गांव बसा रहा है। इसलिए इन घटनाओं को सामान्य समझकर अनदेखी नहीं की जा सकती।

सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है यांगत्से

यांगत्से सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण इलाका है और यह भारत के नियंत्रण है लेकिन चीन पूरे अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है और इस सामरिक महत्व के यांगत्से इलाके पर कब्जा करना चाहता है। इसकी चोटी 17000 फीट उंची है और वहां से भारत और चीन दोनों तरफ आसानी से हर गतविधि पर नजर रखी जा सकती है। वहां से किसी भी तरह की सैन्य गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है। इसके अलावा यहां स्थित बौद्ध धार्मिक स्थलों में तिब्बतियों की भी गहरी आस्था है इसलिए चीन वहां काबिज होना चाहता है।

भारत भी बुनियादी ढांचा कर रहा है मजबूत

चीन लम्बे समय से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सामरिक ढांचा मजबूत करता रहा है। लेकिन भारत ने भी पिछले कुछ वर्षों में आधारभूत ढांचा मजबूत किया है और अब भी इस दिशा में काम चल रहा है। सामरिक महत्व के पुल व सुरंगे बनाई जा रही हैं और सडकों का निर्माण चल रहा है। चीन को यह बर्दाश्त नही हो रहा है।

चीन के दुस्साहस का करारा जवाब

ज्हां भारतीय सैनिकों ने चीन के दुस्साहस का करारा जवाब दिया वहां भारत सरकार ने भी मंगलवार को संसद में साफ़ कर दिया कि भारत अपनी एक इंच जमीन पर भी किसी को कब्जा नहीं करने देगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो टूक कहा कि हमारी सेनाएं देश की अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसके खिलाफ किसी भी प्रयास को रोकने के लिए सदैव तत्पर है। सिंह ने यह भी कहा कि पीएलए ने तवांग सेक्टर के यांगत्से इलाके में अतिक्रमण कर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति बदलने का एकतरफा प्रयास किया। भारतीय सेना ने इसका दृढता से सामना किया। साफ है भारत चीन के विस्तारवादी मंसूबों के खिलाफ मजबूती से डटा हुआ है। चीन अपने विस्तारवादी मंसूबों को बार बार प्रकट करता रहा है। इसलिए यह समय एकजुट होकर उसको जवाब देने का है।

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