
-शकूर अनवर-

नग़मा* हो मुहब्बत का या होली का तराना*।
दीवाने बड़े झूम के गाते हुए निकले।
ऐसे ही जमे महफ़िले-अरबाबे-मुहब्बत।
ये साल यूॅं ही धूम मचाते हुए निकले।।
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नग़मा*गीत
होली का तराना*होली का गीत
महफ़िले-अरबाबे- मुहब्बत*प्रेम करने वालों की महफ़िलें
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