हर चुनौती हर चैलेंज नये सिरे से कार्य करने को प्रेरित करता है

हमें अपने फिजिकल फिटनेस के साथ - साथ मानसिक फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए । जहां तक मानसिक ऊर्जा की बात है तो शांत होकर पूर्व दिशा में सुबह-सुबह बैठ जायें । एक घंटे कम से कम अपनी सांसों के प्रवाह को जानें । उनके आने जाने के क्रम को और अपनी सूक्ष्म शक्तियों को देखने की कोशिश करें । अपने ब्रह्मांड में जाइए । अनंत ऊर्जा का संचार हो रहा है । इस ऊर्जा को महसूस करते हुए अपने दिन का अपनी दिनचर्या का स्वागत करिए । यह मान कर चलिए कि संसार कभी भी निरापद नहीं होता । हर चुनौती हर चैलेंज हर दिन आपको नए सिरे से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है । इसलिए बराबर से अपने कार्य पर ध्यान दीजिए । और कुछ नहीं ...!

– विवेक कुमार मिश्र-

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डॉ. विवेक कुमार मिश्र

कल कभी नहीं आता। साथ में आज रहता है और आज के लिए प्लान बनाकर चलें कि आज क्या करना है । आज के टारगेट में कितना कार्य है और कितना पूरा हुआ । यदि आज आपने दस कार्य करने का टारगेट बनाया है और छः कारें भी पूरे हो गए तो आप अपने पथ पर सही चल रहे हैं । फिर आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है ऐसे ही अपने प्लान पर चलते रहें । एक न एक दिन आप दस कार्यों के प्लान में दस कार्य भी पूरे कर लेंगे । यहीं यह स्थिति भी बनती है कि आज के प्लान को यदि आने वाले कल पर आपने टाल दिया तो कुछ भी होने वाला नहीं है । कल की परिस्थितियां एकदम अलग हो सकती हैं । कल के लिए कुछ मत छोड़िए । हां आज का कार्य करते हुए यदि कुछ कार्य बच गए तो उसे कल सबसे पहले पूरा कीजिए । और उसके बाद कल का टारगेट बनाकर कार्य शुरू कर दीजिए । इस तरह एक टारगेट दूसरे टारगेट का क्रम बनता है और आप अपने कर्म पथ पर अपने कर्तव्य पर सही ढंग से चल रहे हैं ।
कभी भी अपने कार्य को कमतर आंकने की या हीन भावना से ग्रहण करने की शुरुआत न करें । आपके कार्य आपकी क्षमता के सर्वोत्तम प्रदर्शन हैं और उसे उसी रूप में कीजिए । जब इस तरह आप कार्य करते हैं तो आपके साथ सफलता / सार्थकता की अनुभूति साथ – साथ चलती है ।
आपके साथ जो भी लोग हैं उनको कभी भी नजरअंदाज करने की कोशिश ना करें। हर आदमी एक ऐसेट / धरोहर है और आपकी क्षमता में उसका योग भी प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा होता है । केवल प्रत्यक्ष सहयोग को ही जानकारी में नहीं रखना चाहिए । अप्रत्यक्ष सहयोग करने वाले भी आपके रास्ते में बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं ‌। इसे यूं ही न समझें । यह ज्ञान हमारे बड़े बुजुर्ग बराबर से देते रहे हैं । वह अपने साथ हर तरह के छोटे बड़े लोगों को साथ लेकर चलते थे और फिर अपना ग्राम अपना समाज व्यवस्थित करते थे । यह सीख आपको भी रखनी चाहिए कि आप अकेले कुछ नहीं कर सकते और यदि आपके साथ अन्य लोग हैं किसी भी रूप में तो आप बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं । वह भी हासिल कर सकते हैं जो आपने कभी सोचा भी नहीं । न जाने कितने लोगों की दुआएं आशीर्वाद और श्रम व सेवा का सहयोग आपके साथ होता है । इसे ईश्वर कृपा की तरह आप ग्रहण करें और आगे बढ़ते जाएं । आगे बढ़ते जाएं ।
सभ्यता व संस्कृति के विकास क्रम को भी समझने की कोशिश करते रहे। दूसरी बात यह कि बराबर से कोशिश होना चाहिए कि दिए गए कार्यों में आपकी प्रकृति कहां तक संयोजित होती है । प्रकृति को समृद्ध करने में आप का योग किस रूप में हो रहा है । और प्रकृति को बनाए रखने में रचने में अपना योगदान दे रहे हैं तो न केवल आप अपने कार्य को सही ढंग से कर रहे हैं बल्कि अपने कार्य को प्रकृति से जोड़ते हुए पूरी मानव जाति के लिए संरक्षण का कार्य कर रहे हैं । यह सब आपकी क्षमता को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं ।
हमेशा अपनी कार्यक्षमता को लेकर सतर्क रहें और अपनी उस स्थिति / परिस्थिति से बचें जिससे आपकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है । अपनी कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए जितनी आंतरिक शक्तियों की जरूरत होती है उससे कहीं ज्यादा वाह्य परिस्थितियों का भी महत्व होता है । बाह्य ताकतों को कभी भी हल्के में न लें । जितनी आंतरिक उर्जा की जरूरत होती है उससे भी कहीं ज्यादा अपने आसपास की दुनिया और ताकतों की भी जरूरत होती है ।
आपको अपनी ताकत क्षमता को पहचानते हुए कार्य करना है। आप ऐसा भी नहीं करें कि अपनी क्षमता से कई गुना कार्य कर बीमार पड़ जाएं और चार दिन के लिए बैठ जाएं । आपकी जितनी क्षमता है उसी अनुपात में नियमित रूप से कार्य करें । हमेशा अपने कार्य में नियमितता बनाए रखें । यह नहीं कि अचानक कार्य करने लगे और फिर पड़ गए । गिर गए । इससे कुछ नहीं होने वाला है ।
सफलता और सार्थकता की अनुभूति तभी होती है जब आप अपने निर्धारित लक्ष्य को एक – एक कर पूरा करते हैं । इस क्रम में आंतरिक खुशी और संतोष भी होता है । यह सब जीवन की सार्थकता और सफलता का एहसास कराने के लिए काफी होता है । किसी भी व्यक्ति को शिखर पर ले जाने के लिए उसकी सही दिशा सकारात्मकता और संवेदनशीलता ही काम आती है । आप यदि हर तत्व को नकारते चलें तो एक दिन दुनिया भी आप को नकार देगी । इसी के साथ यह भी देखने में आता है कि आपके पास प्रतिभा बहुत है पर यह अकेले काफी नहीं है । आप अपनी प्रतिभा का उपयोग यदि ठीक से नहीं करते तो कुछ भी हासिल नहीं होता ।
हमें अपने फिजिकल फिटनेस के साथ – साथ मानसिक फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए । जहां तक मानसिक ऊर्जा की बात है तो शांत होकर पूर्व दिशा में सुबह-सुबह बैठ जायें । एक घंटे कम से कम अपनी सांसों के प्रवाह को जानें । उनके आने जाने के क्रम को और अपनी सूक्ष्म शक्तियों को देखने की कोशिश करें । अपने ब्रह्मांड में जाइए । अनंत ऊर्जा का संचार हो रहा है । इस ऊर्जा को महसूस करते हुए अपने दिन का अपनी दिनचर्या का स्वागत करिए । यह मान कर चलिए कि संसार कभी भी निरापद नहीं होता । हर चुनौती हर चैलेंज हर दिन आपको नए सिरे से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है । इसलिए बराबर से अपने कार्य पर ध्यान दीजिए । और कुछ नहीं …!
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सह आचार्य हिंदी
राजकीय कला महाविद्यालय कोटा
एफ -9 समृद्धि नगर स्पेशल बारां रोड कोटा -324002

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