-डाँ आदित्य कुमार गुप्त-

अँधेरा छँटेगा जरूर
भोर की किरन
तमस के बक्षस्थल को चीर
चमकेगी जरूर
धैर्य मत खोना पथिक
सुनहरा प्रकाश, बिखरेगा जरूर ।
कब दिशायें कुहरे में?
कब तीव्र आशायें नैराश्य -नद में?
घटाटोप मेघावलि को चीर
विद्युल्लता, हँसेगी जरूर
हौसला बनाये रखना मानव
अँधेरा छँटेगा जरूर ।
डाँ आदित्य कुमार गुप्त कोटा ।
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