-मानहानि प्रकरण में राहुल गांधी की सजा का मामला
नई दिल्ली। मोदी सरनेम प्रकरण में राहुल गांधी की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। गुजरात हाई कोर्ट ने सजा माफ करने को लेकर दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। मौजूदा सजा के मुताबिक राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। कांग्रेस ने कहा है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। एआईसीसी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। गुजरात हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। राहुल गांधी को अदालत से लगे झटके के बाद बीजेपी नेता कांग्रेस पर हमलावर हो गए हैं। बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता कर राहुल गांधी को आड़े हाथ लिया।
उधर, अब राजनीतिक गलियारों में राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. शुक्रवार को आए गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब लोग यह जानना चाह रहे हैं कि राहुल गांधी के पास क्या कानूनी विकल्प हैं। राहुल गांधी को किस अदालत से न्याय की उम्मीद है.
गुजरात हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सेशन कोर्ट के फैसले में ऐसा कोई सही आधार नहीं है जिसकी वजह से सजा को रद्द कर दिया जाए। गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि सेशन कोर्ट का सजा पर रोक न लगाने का फैसला न्यायोचित है।
राहुल गांधी की दो साल की सजा बरकरार रहेगी और उनकी सांसदी नहीं लौटेगी। राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने आपराधिक मानहानि केस में 2 साल की सज़ा सुनाई थी, और बाद में सज़ा पर रोक लगाने की याचिका को भी ख़ारिज कर दिया था। इस फ़ैसले के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द हो गई थी और उन्हें अपना सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ा था। सूरत की कोर्ट के इसी फ़ैसले के खि़लाफ़ राहुल गांधी ने गुजरात हाइकोर्ट में याचिका लगाई थी।
राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, ये सुस्थापित सिद्धांत है कि दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है, बल्कि एक अपवाद है जिसका सहारा दुर्लभ मामलों में लिया जाना चाहिए। अयोग्यता केवल सांसद, विधायकों तक सीमित नहीं है। इसके अलावा आवेदक के विरुद्ध लगभग 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। इस शिकायत के बाद भी उनके खिलाफ एक और शिकायत दर्ज की गई। शिकायत वीर सावरकर के पोते ने दर्ज कराई। दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने से उनके साथ अन्याय नहीं होगा? दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई उचित आधार नहीं है. निचली अदालत को आदेश बिल्कुल उचित और कानूनी है।
प्रियंका गांधी ने भी इस पूरे मामले पर रोष जताया है। उन्होंने ट्वीट किया- राहुल गांधी इस अहंकारी सत्ता के सामने सत्य और जनता के हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं। अहंकारी सत्ता चाहती है कि जनता के हितों के सवाल न उठें, अहंकारी सत्ता चाहती है कि देश के लोगों की जिंदगियों को बेहतर बनाने वाले सवाल न उठें। अहंकारी सत्ता चाहती है कि उनसे महंगाई पर सवाल न पूछे जाएं, युवाओं के रोजगार पर कोई बात न हो, किसानों की भलाई की आवाज न उठे, महिलाओं के हक की बात न हो, श्रमिकों के सम्मान के सवाल को न उठाया जाए।
अहंकारी सत्ता सच को दबाने के लिए हर हथकंडे आजमा रही है, जनता के हितों से जुड़े सवालों से भटकाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद, छल, कपट सब अपना रही है, लेकिन, सत्य, सत्याग्रह, जनता की ताकत के सामने न तो सत्ता का अहंकार ज्यादा दिन टिकेगा और न ही सच्चाई पर झूठ का परदा. राहुल गांधी जी ने इस अहंकारी सत्ता के सामने जनता के हितों से जुड़े सवालों की ज्योति जलाकर रखी है। इसके लिए वे हर कीमत चुकाने को तैयार हैं और तमाम हमलों व अहंकारी भाजपा सरकार के हथकंडों के बावजूद एक सच्चे देशप्रेमी की तरह जनता से जुड़े सवालों को उठाने से पीछे नहीं हटे हैं. जनता का दर्द बांटने के कर्तव्य पथ पर डटे हुए हैं. सत्य की जीत होगी. जनता की आवाज जीतेगी।