
कोटा। टैगोर नगर स्थित राजकीय पीजी संस्कृत कालेज में बुधवार को राजस्थान मिशन-2030 के अंतर्गत कोटा संभाग स्तरीय गहन चिंतन एवं संवाद कार्यक्रम रखा गया जिसमें जिसमे संस्कृत शिक्षा से जुड़े शिक्षाविदों, हितग्राहियों, अभिभावकों तथा छात्र छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत शिक्षा राजस्थान के निदेशक डा. भास्कर शर्मा शोत्रिय ने बताया कि आने वाले सात वर्षों में संस्कृत शिक्षा के उत्तरोत्तर विकास के लिए राज्य सरकार कृत संकल्प है। गत बजट घोषणा के अनुसार अब प्रदेश के समस्त जिलों में कम से कम एक संस्कृत महाविद्यालय शुरू कर दिय गया है तथा उनमे कुल सौ गेस्ट फेकल्टी नियुक्त कर दिए गए हैं तथा अध्ययन कार्य चल रहा है। आने वाले समय में प्रत्येक जिले में कम से कम दो संस्कृत महाविद्यालय होंगे तथा पूर्व में संचालित शास्त्री महाविद्यालयों को आचार्य स्तर पर क्रमोन्नत किया जायेगा। प्रयेक जिले में एक आवासीय संस्कृत विद्यालय की स्थापना भी की जाएगी। वर्तमान में प्रत्येक संभाग में संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी कार्यालय संचालित है। अब जिला शिक्षा अधिकारी कार्यलय भी खोले जायेंगे। इस अवसर पर संभागीय उप निरीक्षक श्रीमती आभा तैलंग ने बताया कि हमारे संस्कृत विद्यालय किसी भी दृष्टि से सामान्य विद्यालयों से पीछे नहीं हैं। सभी पदों पर डीपीसी कर दी गयी है। पूर्व संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी प्रो. संजय चावला ने कहा कि रटलाई (झालावाड), बूंदी तथा बारां में संस्कृत महाविद्यालय खोलने की मांग बरसों पुरानी है। कालेज खुलने से वहां के छात्र छात्राओं तथा अभिभावकों में बड़ा उत्साह देखा गया है। रटलाई में तो सभी सीटे फुल हो गयी हैं। बारां के पास मोतिकुआ में कुल बीस छात्राएं थी जो सीनियर के बाद पढाई छोड़ चुकी थीं। अब वहां के प्राचार्य की प्रेरणा से उन्होंने बारां कालेज में प्रवेश लिया है। अभी ये कालेज स्कूलों में चल रहे हैं. उन्होंने वहां शीघ्र अति शीघ्र भवन निर्माण कराये जाने की मांग की. इस अवसर पर 150 हितग्राहियों में लिखित में अपने सुझाव दिए। इससे पूर्व संयोजक प्राचार्य डा. खगेन्द्रनाथ झा ने सभी का स्वागत किया तथा अंत में संभागीय शिक्षा अधिकारी गंगाधर मीना ने सभी का आभार व्यक्त किया.