वर्तमान शिक्षा में भारत वर्ष के मूल संस्कार, संस्कृति और मानवीय मूल्यों को किया दरकिनार

whatsapp image 2024 04 03 at 4.52.49 pm
डॉ एन पी सिंह व्याख्यान देते हुए।

-हमें अभी चेतना होगा और शिक्षा पद्धति को राष्ट्रोन्मुखी बनाना होगा

-शिक्षा में परिवर्तन की आवश्यकता

-धीरेन्द्र राहुल-

dhirendra rahul
धीरेन्द्र राहुल

(वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक)

कोटा। अकलंक विद्यालय एसोसिएशन द्वारा बुधवार तीन अप्रेल को अकंलक पब्लिक स्कूल बसंत विहार में शिक्षा पर एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिंथ और मुख्य वक्ता भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ एन पी सिंह (सेवानिवृत आईएएस) थे। कार्यक्रम में पीयूष जी ने स्वागत भाषण दिया।
व्याख्यान का विषय था “शिक्षा की आजादी”। जिस पर डॉ सिंह ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में गुलामी की जड़ों की त्रासदी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षा बोर्ड भारत सरकार द्वारा स्थापित एक राष्ट्र स्तरीय बोर्ड है। इसे पतंजलि द्वारा आर्थिक रुप से पोषित किया गया है।

डॉ सिंह ने बताया कि बोर्ड का उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा में बच्चे के अंदर संस्कारयुक्त ज्ञान प्रदान करना एवं शिक्षा को “लर्निंग बेस्ड” बनाना है। भारतीय शिक्षा बोर्ड द्वारा प्राथमिक स्तर तक की समस्त विषयों की पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका हैं जो अत्यंत किफायती दरों पर उपलब्ध हैं।

उन्होंने वर्तमान शिक्षा की गुरुकुल शिक्षा से तुलना करते हुए बताया कि वर्तमान शिक्षा में भारत वर्ष के मूल संस्कार, संस्कृति और मानवीय मूल्यों आदि को दरकिनार कर दिया है। फलस्वरुप आज की पीढ़ी भौतिकतावादी और विघटनकारी होती जा रही है। अतः हमें अभी चेतना होगा और शिक्षा पद्धति को राष्ट्रोन्मुखी बनाना होगा।
डॉ सिह ने वेद और शास्त्रों आदि के विभिन्न प्रंसगों सहित शिक्षा में परिवर्तन की आवश्यकता को समझाया। डॉ सिंह के उद्बोघन से पूर्व राजस्थान तकनीकि विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर बीपी सुनेजा ने एक प्रजेंटेशन के माध्यम से “आधुनिक शिक्षा कहां आ गए हम” ? विषय पर रोचक एवं प्रभावी प्रस्तुतिकरण किया। उन्होंने बताया कि विभिन्न महापुरुषों और दार्शनिकों ने शिक्षा को लेकर अपनी क्या अपेक्षाएं रखीं। साथ ही वैदिक काल में किस प्रकार से शिक्षा में पर्यावरण, समाजसेवा राष्ट्र भक्ति को समाहित किया गया था। किन्तु शनैः शनैः हमने शिक्षा का पाश्च्यातिकरण कर दिया। जिसके फलस्वरुप आज विश्व और पृथ्वी अनेकानेक त्रासदियां झेल रही है। डॉ सुनेजा ने बताया कि किस प्रकार नई शिक्षा नीति इस परिपेक्ष्य में एक बेहद क्रांतिकारी कदम साबित होगा। डॉ सुनेजा ने प्राथमिक शिक्षा हेतु एनईपी में वर्णित विभिन्न प्रावधानों की भी चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन संस्कृति ने किया व पाटौदी जी ने धन्यवाद ज्ञापित कियां।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments