
-देवेंद्र यादव-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक गलियारो और सोशल मीडिया पर लग रही तमाम अटकलों के बावजूद सहजता से अपने मंत्रिमंडल का चयन, मन मुताबिक कर लिया मगर लोकसभा अध्यक्ष के पद को लेकर राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया मैं अभी भी अटकल लगाई जा रही हैं। चर्चा यह है कि क्या मोदी ने जिस तरह मंत्रिमंडल का गठन किया उसी तरह अपने मन मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष बनवा लेंगे, और क्या ओम बिरला ही लगातार दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष बनेंगे ?
लोकसभा अध्यक्ष पद को लेकर राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया पर अटकलंे इसलिए लग रही है क्योंकि जनता ने इस बार भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत नहीं दिया। भाजपा ने अन्य दलों का समर्थन लेकर अपनी सरकार बनाई है और इस बार 2019 की अपेक्षा विपक्ष अधिक मजबूत है। कांग्रेस 100 सांसदों के साथ संसद के भीतर एक दशक बाद विपक्ष का नेता चुनेगी और मान्यता लेगी वही कांग्रेस और विपक्ष लोकसभा में लोकसभा उपाध्यक्ष के लिए भी अपना दावा ठोकेगी ?
अब सवाल उठता है कि क्या भारतीय जनता पार्टी सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव करवा पाएगी और परंपरा के अनुसार क्या सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देगी ?
2019 में संसद के भीतर लोकसभा का उपाध्यक्ष नहीं चुना गया था, और कांग्रेस के लोकसभा में कम सांसद होने के कारण विपक्ष का नेता चुनने का अधिकार भी नहीं मिला था।
2019 में लोकसभा में संसद के भीतर लोकसभा उपाध्यक्ष और विपक्ष के नेता का पद खाली था मगर 2024 में ऐसा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। क्योंकि इस बार कांग्रेस के पास विपक्ष का नेता बनने के लिए मजबूत आधार है और विपक्ष के पास अपना लोकसभा उपाध्यक्ष बनवाने के लिए भी मजबूत जन आधार है ?
सवाल यह है कि क्या भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वसम्मति से अपना लोकसभा अध्यक्ष बनवा लेंगे ?
राजनीतिक गलियारों में खबरें तो यह भी तैर रही हैं कि चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार मांग कर रहे हैं कि लोकसभा अध्यक्ष उनके दलों से हो।
ऐसे में क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने खास ओम बिरला को लगातार दूसरी बार लोकसभा का अध्यक्ष बनवा लेंगे ?
और क्या विपक्षी सांसद 2019 मैं संसद के भीतर हुए अपमान को भूल कर, ओम बिरला को लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने का मौका देंगे ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का गठन तो आराम से कर लिया है मगर लोकसभा अध्यक्ष को लेकर पेच अभी भी फंसता हुआ नजर आ रहा है।
लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव पर सर्वसम्मति बनेगी यह सवाल अभी भी बरकरार है ?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)