ई-कॉमर्स पर व्यापार और कुछ व्यवहारों को आपराधिक श्रेणी से हटाने की सिफारिश सराहनीय

-एडवोकेट किशन भावनानी-

kishan bhavnani
किशन सनमुख़दास भावनानी

किसी भी देश का विकास उसके हर क्षेत्र की सटीक नीतियों रणनीतियों सटीक क्रियान्वयन कुशल नेतृत्व पर निर्भर करता है। यदि हर क्षेत्र मसलन शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन सहित सभी क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर संचालन तक की गतिविधियां सुशासन से की जाए तो इसकी पहली सीढ़ी उसके लिए फंड एलोकेशन करना है, जो आमदनी पर निर्भर करता है। इसका एक महत्वपूर्ण पहलू कर से आमदनी है, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के रुप में आता है। जिसमें जीएसटी की महत्वपूर्ण भूमिका है। चूंकि जीएसटी काउंसिल की शनिवार को 48 वीं बैठक में एजेंडा 15 में से 8 बिंदुओं को पूरा किया गया जिसमें व्यापार को सुगम बनाने में मज़बूत उपाय किया गया है।
देश में ई-कॉमर्स के बढ़ते चलन को देखते हुए छोटे व्यापारी लंबे समय से जीएसटी में गैर-पंजीकृत व्यापारियों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर बिजनेस करने की अनुमति देने की मांग कर रहे थे। जीएसटी परिषद ने अपनी पिछली बैठक में इस पर सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी। शनिवार को हुई बैठक में इस पर अंतिम मुहर लगा दी गई। जीएसटी परिषद ने कहा कि इसके लिए जीएसटी कानून और नियमों में अनुकूल संशोधनों से जुड़े नोटिफिकेशन जल्द जारी किए जाएंगे। हालांकि इस पूरी व्यवस्था को अगले साल 1 अक्टूबर तक लागू किया जा सकता है।

ई-कॉमर्स पर व्यापार कर सकेंगे

देश में करीब 8 करोड़ छोटे व्यापारी हैं, लेकिन बड़ी संख्या में व्यापारी जीएसटी पंजीकरण के बिना व्यावसायिक गतिविधियों चलाते हैं, इसकी एक वजह उनकी वार्षिक बिक्री जीएसटी सीमा से बेहद कम होना है, ऐसे व्यापारी अब ई-कॉमर्स पर व्यापार कर सकेंगे जो उनके लिए बड़ी राहत की बात होगी। ई-कॉमर्स साइट्स पर मिलेगा सस्ता सामान, मौजूदा समय में भारत तेजी से ई-कॉमर्स हब के रूप में उभर रहा है। ई-कॉमर्स व्यवसाय अब देश के कुल रिटेल सेक्टर का लगभग 10 फ़ीसदी है। जबकि वस्त्र और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर्स में ये 25-50 फ़ीसदी तक हिस्सेदारी रखता है. ऐसे में जीएसटी काउंसिल के इस फैसले से इस सेगमेंट में और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, इससे अंततरू फायदा उपभोक्ता को होगा और उन्हें सस्ता सामान मिलेगा, छोटे व्यापारियों की 2 साल पुरानी एक खास मांग मान ली गई है। इससे अब बहुत जल्द ई-कॉमर्स साइट्स पर लोगों को सस्ता सामान मिलने का रास्ता साफ हो गया है।

जीएसटी परिषद की सिफारिशें

जीएसटी परिषद ने निम्नलिखित सिफारिशें की हैं (1)सूक्ष्म उद्यमों के लिए ई-कॉमर्स की सुविधा-जीएसटी परिषद ने अपनी 47वीं बैठक में गैर-पंजीकृत आपूर्तिकर्ताओं और कंपोजिशन करदाताओं को कुछ शर्तों के अधीन ई-कॉमर्स ऑपरेटरों (ईसीओ) के माध्यम से माल की राज्य के भीतर आपूर्ति करने की अनुमति देने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी। परिषद ने संबंधित अधिसूचना जारी करने के साथ-साथ जीएसटी अधिनियम और जीएसटी नियमों में संशोधनों को मंजूरी दे दी है, ताकि उन्हें सक्षम बनाया जा सके। इसके अलावा, पोर्टल पर आवश्यक कार्यक्षमता के विकास के साथ-साथ ईसीओ द्वारा तैयारियों के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने के लिए आवश्यक समय पर विचार करते हुए, परिषद ने सिफारिश की है कि इस योजना को 01.10.2023 से लागू किया जा सकता है। व्यापार को सुगम बनाने के उपाय (2) जीएसटी के तहत कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाना- परिषद ने सिफारिश की है कि, जीएसटी के तहत अभियोजन शुरू करने के लिए कर राशि की न्यूनतम सीमा एक करोड़ रुपये से बढ़ा कर दो करोड़ रुपये करना, जिसमें माल या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति के बिना चालान जारी करने के अपराध शामिल नहीं होंगे,कंपाउंडिंग राशि को कर राशि के 50 प्रतिशत से 150 प्रतिशत की वर्तमान सीमा से घटाकर 25 प्रतिशत से 100 प्रतिशत की सीमा तक लाना, सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132 की उप-धारा (1) के खंड (जी), (जे) और (के) के तहत निर्दिष्ट कुछ अपराधों को गैर-अपराध घोषित करना, जैसे- किसी अधिकारी को उसके कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालना या रोकना;- महत्वपूर्ण साक्ष्य को जानबूझकर विकृत करना, जानकारी प्रदान करने में विफलता।(3) गैर-पंजीकृत व्यक्तियों को रिफंड -गैर-पंजीकृत खरीदारों द्वारा वहन किए गए कर की वापसी के दावे के लिए कोई प्रक्रिया नहीं है, ऐसे मामलों में जहां सेवाओं की आपूर्ति के लिए अनुबंध/समझौता, जैसे फ्लैट/घर का निर्माण और दीर्घकालिक बीमा पॉलिसी रद्द कर दी जाती है और समय समाप्त हो जाता है संबंधित आपूर्तिकर्ता द्वारा क्रेडिट नोट जारी करने की अवधि समाप्त हो गई है। परिषद ने ऐसे मामलों में गैर-पंजीकृत खरीदारों द्वारा रिफंड के आवेदन को दाखिल करने की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए एक परिपत्र जारी करने के साथ सीजीएसटी नियम, 2017 में संशोधन की सिफारिश की।(4)परिषद ने सीजीएसटी नियम 2017 में नियम 37ए को शामिल करने की सिफारिश की ताकि एक पंजीकृत व्यक्ति द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट को एक निर्दिष्ट तिथि तक कर का भुगतान न करने की स्थिति में इनपुट टैक्स क्रेडिट के रिवर्सल के लिए तंत्र और इस तरह क्रेडिट के पुनरू लाभ के लिए तंत्र निर्धारित किया जा सके, अगर आपूर्तिकर्ता बाद में कर का भुगतान करता है। इससे सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 16(2)(सी) के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने की शर्त का अनुपालन करने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। (5) परिषद ने सीजीएसटीअधिनियम, 2017 के नियम 37 केउप-नियम (1) को पूर्वव्यापी प्रभाव से 01.10.2022 से संशोधित करने की सिफारिश की है, ताकि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16 के दूसरे प्रावधान के अनुसार केवल आनुपातिक रूप से देय कर सहित आपूर्ति के मूल्य की तुलना में आपूर्तिकर्ता को भुगतान नहीं की गई राशि के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिवर्सल किया जा सके। (6) यह स्पष्ट करने के लिए इसका परिपत्र जारी किया जाएगा कि बीमा कंपनियों द्वारा बीमाधारक को दिया जाने वाला नो क्लेम बोनस बीमा सेवाओं के मूल्यांकन के लिए स्वीकार्य कटौती है। (7) विभिन्न मुद्दों पर अस्पष्टता और कानूनी विवादों को दूर करने के लिए निम्नलिखित परिपत्र जारी करना, इस प्रकार बड़े पैमाने पर करदाताओं को लाभान्वित करना।

(लेखक कर विशेषज्ञ, स्तंभकार और एडवोकेट हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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