सामजिक परिवर्तन के लिए नाट्य कला बेहद उपयोगी: बौराणा

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कोटा. नाट्य कला प्रतिभागियों के विचारों एवं योग्यताओं को जोड़ता है. यह एक सहयोगात्मक प्रक्रिया है जिसमे पारंपरिक वैचारिक आदान प्रदान , पूर्वाभ्यास, प्रस्तुतीकरण आदि शामिल है. ये क्रियायें बालकों में सहयोग की भावना एवं समूह की भावना का विकास करती है. यह बात राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर के सौजन्य से कोटा में चल रहे युवा नाट्य समारोह के परिसंवाद कार्यक्रम मेंराज्य मंत्री रमेश बौराणा ने कही. उन्होंने कहा कि पूर्व में यह कला राज्याश्रित थी किन्तु जनतांत्रिकव्यवस्था में सामजिक परिवर्तन के लिए इसका बेहतर उपयोग किया जा सकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि कोटा में कोचिंग उद्योगों को प्रति माह इस कला के माध्यम से छात्रों में आत्मविश्वास तथा कल्पशीलता की वृद्धि, समानानुभूति का विकास, सामूहिकता का विकास, एकाग्रता को बढ़ाना, समस्या समाधान कौशल का विकास, स्मरण शक्ति में वृद्धि जैसे गुण विकसित किये जा सकते हैं.इससे पूर्व रंगकर्मी संदीप राय ने हाडौती रंगकर्म के ऐतिहासिक परिपेक्ष पर बात करते हुए कहा कि यहाँ के उद्योगों द्वारा नाट्य कर्म को प्रोत्साहन मिलता था. रेलवे, आईएल तथा श्रीराम रेयोंस के सौजन्य से बेहतरीन नाट्य प्रस्तुतियां यहाँ होती थीं किन्तु कारखानों के उजड़ने के बाद यह कला निराश्रित हो गयी. जनकवि तथा सामजिक कार्यकर्त्ता महेंद्र नेह ने कहा कि आज का परिदृश्य लोकल से ग्लोबल हो गया है. नाट्य कला को भी बदलते वैश्विक परिवेश के अनुसार अपने को बदलना होगा. अकादमी ने कोटा के इस महोत्सव के माध्यम से एक अच्छी शुरुआत की है जिसे ज़ारी रखा जाना चाहिए. अकादमी अध्यक्ष बिनाका जैश मालू ने कहा कि नाटक बेहतर मनुष्य का निर्माण करता है. इसमें सभी कलाओं को संवर्धन मिलता है. संगीतज्ञ शरद तैलंग ने कहा कि युवा नाट्यकर्मी अभिषेक तिवाड़ी द्वारा युआईटी ऑडिटोरियम के निर्माण के बाद पहली बार नाट्य प्रस्तुतियों के लिए इसका उपयोग करके सराहनीय कार्य किया है जो आगे भी ज़ारी रहना चाहिए.

 

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