
-हरियाणा विधानसभा चुनाव में राहुल ने कृषि कानूनों को लेकर भाजपा को घेरा
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस हरियाणा में न केवल भारतीय जनता पार्टी के जाल और चक्रव्यूह से बाहर आती जा रही है बल्कि विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को अपने राजनीतिक जाल में फंसा लिया है।
हरियाणा में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की हालत शुरू से पतली दिखाई दे रही थी। उसकी उम्मीदें कांग्रेस के उन नेताओं पर टिकी थीं जो मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए आपस में लड़ रहे थे। कांग्रेस के नेताओं की कुर्सी की लड़ाई टिकट बंटवारे के समय से ही खुलकर सामने आई। टिकट बंटवारे से नाराज दलित नेत्री और मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार कुमारी शैलजा शांत हो कर बैठ गईं। कुमारी शैलजा की नाराजगी और उनके पार्टी के लिए प्रचार नहीं करने से ऐसा लगा जैसे हरियाणा चुनाव में कांग्रेस का सब कुछ लुट गया। कांग्रेस जीती हुई बाजी हार जाएगी। भारतीय जनता पार्टी को कुमारी शैलजा की नाराजगी में एक जीत की किरण दिखाई दी और उसके नेता चुनावी मंच से कहने लगे कि कांग्रेस दलित और दलित नेता कुमारी शैलजा का अपमान कर रही है। खबर तो यह निकल कर आई की भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य और रणनीतिकारों ने पार्टी में शामिल करने के लिए कुमारी शैलजा पर डोरे डालने शुरू कर दिए। खबर यह भी थी कि कुमारी शैलजा 25 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सोनीपत में चुनावी मंच साझा कर कांग्रेस को अलविदा बोल देंगी। मगर कुमारी शैलजा ना तो प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच पर दिखाई दी और ना ही उनके भाजपा में शामिल होने की खबर आई। बल्कि मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हुए दिखाई दिए कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो इस पार्टी के नेताओं केि आपस के झगड़े के कारण हरियाणा को बड़ा नुकसान होगा।
हरियाणा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहली बार कमल के निशान पर मतदाताओं से मतदान करने की अपील करते हुए देखा गया है। जबकि इससे पहले मोदी चुनावी सभा में कहते थे कि आपका वोट मोदी की गारंटी है। आप जो वोट दोगे वह वोट मोदी को पड़ेगा। अब मोदी बोल रहे हैं कि आप भारतीय जनता पार्टी को वोट करें। राजनीतिक पंडित बतियाने लगे हैं कि मोदी का जादू खत्म हो गया है इसीलिए मोदी अब यह कहते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं कि आपका वोट मोदी को पड़ेगा।
राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपने जाल में फंसा लिया है। भारतीय जनता पार्टी के नेता अमेरिका में दिए गए राहुल गांधी के भाषण को तोड़ मरोड़ कर बता रहे थे कि कांग्रेस आरक्षण विरोधी है। राहुल गांधी नहीं चाहते कि आरक्षण रहे। अब राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या वह कृषि के तीनों कानून को वापस लाएंगे। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की सांसद कंगना रनौत ने हरियाणा चुनाव के बीच में कहा था कि सरकार को कृषि के तीनों कानून वापस लाना चाहिए। हरियाणा में अब राहुल गांधी और कांग्रेस की तरफ से यही सवाल गूंजेगा, और प्रधानमंत्री से पूछेंगे कि क्या भारतीय जनता पार्टी सरकार कृषि के तीनों कानून वापस लेकर आएगी। राहुल गांधी ने यह 25 सितंबर को प्रधानमंत्री से सवाल पूछ कर स्पष्ट भी कर दिया है।
सवाल यह है कि क्या कुमारी शैलजा की नाराजगी नहीं थी। बल्कि भारतीय जनता पार्टी को अपने जाल में फंसाने की कांग्रेस की एक चुनावी रणनीति थी। क्योंकि अभी तक देखा गया है भारतीय जनता पार्टी ने विभिन्न राज्यों में चुनाव से पहले कांग्रेस के नेताओं को तोड़कर भाजपा में शामिल किया था। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य और चुनावी रणनीतिकार हरियाणा में फेल हो गए। वह कुमारी शैलजा को भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं करवा पाए। जबकि इसी हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अशोक तंवर को भारतीय जनता पार्टी में शामिल कराया था। मगर इस बार भारतीय जनता पार्टी के नेता राहुल गांधी से मात खा गए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में जिन कांग्रेसी नेताओं को भारतीय जनता पार्टी में शामिल किया था ज्यादातर नेता राहुल गांधी के मित्र थे मगर राहुल गांधी की खास भरोसेमंद कुमारी शैलजा को वह भाजपा में शामिल नहीं करवा सके।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)