
विवेक कुमार मिश्र की नये साल पर कविताएं

1.
नया सवेरा
रंग देगा
अंधेरे की दीवार पर
सूरज की लाली रच देगी
एक नया सवेरा
कोई गा रहा होगा
ठंड से कांप रहे
बच्चों के बीच
गीत बन
तो खाली मुठ्ठी
भी तनी होगी सूरज की तपिश से
धीरे -धीरे धरती गुनगुना रही होगी
उगते सूरज की गरमाहट पा
सूरज उतर रहा है
पोखर के आखिरी बचे जल में
डुबकी लगाने
नया सवेरा
पहाड़ों से उतर रहा है गांव में
बिना किसी ताम- झाम के
नया सवेरा
जीवन में उतर जाता है
रंग भर जाता
सम्भालों साथी कूंची -रंग
सूरज उतर आया है
पहाड़ी के ठीक नीचे वाले गांव में
जहां कोई नहीं उतरा था
वहां सबसे पहले
जीवन के लिए सूरज उतर आया
गांव में सुनहरे रंग की आभा छायी है
बस हरितिमा से मिलना बाकी है
एक जीवन की रंग रेखा
जिसपर सूरज की
कसीदाकारी छपी है
जहां से गरमाहट की
गुनगुनी धुप उड़ती है
वहीं – वहीं सवेरा
जो रोज ही
आंगन में पसर कर
जाता रहा
नये साल में
नया होकर आ जाता
सूरज रंग देता है
पृथ्वी के उस हर भाग को
जहां अंधेरे ने घर जमाया था |
2.
नये वर्ष में सब नवल रंग रच जाएं
इस किनारे से उस किनारे तक रंग की आभा कुछ इस तरह हों कि
सब कुछ जीवन पथ पर रचता हुआ दिखें
राहे नयी
नये हों पथ
एक नया पथ हो पूरा
जीवन के रंग से रंग जायें
राहे हों स्वर्णिम भविष्य की
जीवन पथ पर
नया सवेरा कुछ इस तरह रच जाएं रंग की इबारत ।
3.
नया सवेरा
दूब की नई कोर सी
बार- बार
दिखता है मन में बस जाता
और अपनी हरित पत्तियों से
जीवन की कथा कुछ इस तरह करता कि
सारा संसार सामने ही आ जाता
सूरज की रश्मियों से
रोज एक नया सवेरा
आ जाता
हमारे आंगन को लिप जाता
स्वर्णिम किरणों से
जीवन रंग जाता
एक सवेरा के साथ
सब घुल जाता
जीवन रच जाता
सूरज की किरणों से
पृथ्वी को रंगते हुए
सूरज की पहली किरणे
सबको रंग दे
जीवन से जोड़ देती है |
4.
नया वर्ष
नई लहरों के संग
हवाओं के संग
जीवन की उड़ानों के संग
हलचलों के संग
मुक्त कंठ से
गगनांचल में उड़ता रहे
आकाश
पृथ्वी
जल और अग्नि
सभी में नवता विचरण करती रहती है |
5.
नया वर्ष
नई उमंगों के साथ
जीवन की यथार्थ संरचना के साथ
हर मनुष्य के स्वप्न को पूरा करें
जीवन के स्वप्न को
आकांक्षा को , आस्था को
रचे और आगे बढ़े
हर स्वप्न के साथ
आम आदमी की
सारी खुशियां व स्वप्न को
पोषित करें |
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(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)